TG Telegram Group & Channel
युग निर्माण© (अखिल भारतीय गायत्री परिवार) | United States America (US)
Create: Update:

👉 *बुरे विचारों से दूर रहिए। (अंतिम भाग)*

*संसार के अत्याधिक मनुष्यों को यह समझाना ही कठिन है कि उनके विचार ही उनके सुख-दुख के कारण हैं।* मनुष्यमात्र में अपने आप पर विवेचना करने की शक्ति का अभाव होता है। हम सभी बहिर्मुखी हैं। हम अपने कष्टों का कारण दूसरों को मानने में सन्तोष पाते हैं। *अपने दोषों को दूसरे में देखते हैं। जिस अवाँछनीय घटना की जड़ हमारे विचारों में ही है उसे हम दूसरे व्यक्तियों में देखते हैं।* इस प्रकार की मानसिक प्रवृत्ति को दोषारोपण की प्रवृत्ति कहते हैं अथवा प्रोजेक्शन कहते है।

वही मनुष्य बुरे विचारों के निरोध में समर्थ होता है, *जो अपने आपके विषय में सदा चिन्तन करता है और जो परोक्ष रूप से भी यह जानता है कि मनुष्य का मन ही दुख और दुखों का कारण है।* ऐसे ही मनुष्य में भले ओर बुरे विचारों के पहचानने की शक्ति उत्पन्न होती है।

*किसी भी ऐसे विचार को बुरा विचार कहना चाहिये जो आत्मा को दुःख देता हो, उसको भ्रम में डालता हो।* बीमारी के विचारों और असफलता के विचारों को सभी बुरा कहेंगे यह प्रत्यक्ष ही है कि इन विचारों से मन को दुख होता है और अनहोनी घटना होके रहती है। *किन्तु इस बात को मानने के लिये कम लोग तैयार होंगे कि शत्रुता के विचार, दूसरों को क्षति पहुंचाने के विचार भी बुरे विचार है।* ये विचार भी उसी प्रकार हमारी आत्मा का बल कम कर देते हैं जिस प्रकार कि असफलता और बीमारी के विचार आत्मा का बल कम कर देते हैं।

*( Ahankaar Hamara Shatru | अहंकार हमारा शत्रु | Dr Chinmay Pandya, https://youtu.be/RZ521CiWKHU )*
*( शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए Shantikunj WhatsApp 8439014110 )*

*क्रमशः जारी*
*अखण्ड ज्योति मई 1950 पृष्ठ 14*

👉 *बुरे विचारों से दूर रहिए। (अंतिम भाग)*

*संसार के अत्याधिक मनुष्यों को यह समझाना ही कठिन है कि उनके विचार ही उनके सुख-दुख के कारण हैं।* मनुष्यमात्र में अपने आप पर विवेचना करने की शक्ति का अभाव होता है। हम सभी बहिर्मुखी हैं। हम अपने कष्टों का कारण दूसरों को मानने में सन्तोष पाते हैं। *अपने दोषों को दूसरे में देखते हैं। जिस अवाँछनीय घटना की जड़ हमारे विचारों में ही है उसे हम दूसरे व्यक्तियों में देखते हैं।* इस प्रकार की मानसिक प्रवृत्ति को दोषारोपण की प्रवृत्ति कहते हैं अथवा प्रोजेक्शन कहते है।

वही मनुष्य बुरे विचारों के निरोध में समर्थ होता है, *जो अपने आपके विषय में सदा चिन्तन करता है और जो परोक्ष रूप से भी यह जानता है कि मनुष्य का मन ही दुख और दुखों का कारण है।* ऐसे ही मनुष्य में भले ओर बुरे विचारों के पहचानने की शक्ति उत्पन्न होती है।

*किसी भी ऐसे विचार को बुरा विचार कहना चाहिये जो आत्मा को दुःख देता हो, उसको भ्रम में डालता हो।* बीमारी के विचारों और असफलता के विचारों को सभी बुरा कहेंगे यह प्रत्यक्ष ही है कि इन विचारों से मन को दुख होता है और अनहोनी घटना होके रहती है। *किन्तु इस बात को मानने के लिये कम लोग तैयार होंगे कि शत्रुता के विचार, दूसरों को क्षति पहुंचाने के विचार भी बुरे विचार है।* ये विचार भी उसी प्रकार हमारी आत्मा का बल कम कर देते हैं जिस प्रकार कि असफलता और बीमारी के विचार आत्मा का बल कम कर देते हैं।

*( Ahankaar Hamara Shatru | अहंकार हमारा शत्रु | Dr Chinmay Pandya, https://youtu.be/RZ521CiWKHU )*
*( शांतिकुंज की गतिविधियों से जुड़ने के लिए Shantikunj WhatsApp 8439014110 )*

*क्रमशः जारी*
*अखण्ड ज्योति मई 1950 पृष्ठ 14*


>>Click here to continue<<

युग निर्माण© (अखिल भारतीय गायत्री परिवार)






Share with your best friend
VIEW MORE

United States America Popular Telegram Group (US)