दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते ।
यदन्नं भक्ष्यते नित्यं जायते तादृशी प्रजा ॥
जिस प्रकार अंधकार खाकर दीपक काजल उत्पन्न करता है, वैसे ही जिस प्रकार का अन्न ग्रहण करते है उस प्रकार कि संतान उत्पन्न होती है ।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।
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