📌उत्तर मौर्यकालीन भारत का समाज
➥ भारत में मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद, मौर्योत्तर काल में कई महत्वपूर्ण विकास हुए।
⭐ यहां मौर्योत्तर भारत के समाज पर कुछ महत्वपूर्ण नोट्स हैं: ↴↴
1. राजनीतिक विखंडन: ➛
☞ मौर्योत्तर काल में राजनीतिक विखंडन देखा गया, जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप में विभिन्न क्षेत्रीय साम्राज्य उभरे। इनमें शुंग राजवंश, सातवाहन, कुषाण और अन्य शामिल थे।
2. बौद्ध धर्म और जैन धर्म: ➛
☞ जबकि बौद्ध धर्म प्रभावशाली रहा, जैन धर्म को भी प्रमुखता मिली। दोनों धर्मों ने अहिंसा और नैतिक जीवन की वकालत की।
3. कला एवं वास्तुकला:➛
☞ इस अवधि में जटिल नक्काशी और मूर्तियों की विशेषता वाली "शुंग कला शैली" का विकास देखा गया। अमरावती और भरहुत स्तूप इसके उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
4. विदेशी आक्रमण: ➛
☞ भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में विदेशी शक्तियों, विशेष रूप से यूनानियों (इंडो-ग्रीक) और बाद में कुषाणों ने आक्रमण किया, जिन्होंने एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की।
5. आर्थिक गतिविधियाँ: ➛
☞ इस अवधि के दौरान व्यापार और वाणिज्य फला-फूला, रेशम मार्ग भारत को मध्य एशिया और उससे आगे से जोड़ता था। सिक्कों का प्रयोग व्यापक हो गया।
6. सामाजिक संरचना: ➛
☞ जाति व्यवस्था एक प्रमुख सामाजिक संरचना बनी रही, जिसमें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्रों ने समाज में विशिष्ट भूमिकाएँ निभाईं। हालाँकि, सामाजिक गतिशीलता कुछ हद तक संभव थी।
7. साहित्य एवं विद्या: ➛
☞ संस्कृत साहित्य निरंतर फलता-फूलता रहा। महाभारत और रामायण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की रचना या उनका विकास इसी काल में हुआ।
8. क्षेत्रीय भाषाओं का उद्भव: ➛
☞ जबकि संस्कृत अभिजात वर्ग की भाषा बनी रही, क्षेत्रीय भाषाओं को महत्व मिला। प्राकृत और तमिल उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं में से थीं।
9. महिलाओं की भूमिका: ➛
☞ विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की स्थिति भिन्न-भिन्न थी। अर्थशास्त्र जैसे कुछ ग्रंथ समाज में महिलाओं के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
10. बौद्ध धर्म का पतन: ➛
☞ समय के साथ, बौद्ध धर्म को अन्य धार्मिक और दार्शनिक आंदोलनों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिससे इसके प्रभाव में गिरावट आई।
11. कृषि एवं शहरीकरण: ➛
☞ कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनी रही। पाटलिपुत्र, उज्जैन और तक्षशिला जैसे शहरी केंद्र व्यापार और प्रशासन के महत्वपूर्ण केंद्र बने रहे।
12. विदेशी संस्कृतियों का प्रभाव: ➛
☞ विदेशी शक्तियों के साथ बातचीत से सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ। यह कला, वास्तुकला और यहां तक कि धार्मिक प्रथाओं में भी स्पष्ट है।
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