पिता एक उम्मीद है, एक आस है परिवार की हिम्मत और विश्वास है, बाहर से सख्त अंदर से नर्म है उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।
पिता संघर्ष की आंधियों में हौसलों की दीवार है परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है, बचपन में खुश करने वाला खिलौना है नींद लगे तो पेट पर सुलाने वाला बिछौना है।
पिता जिम्मेवारियों से लदी गाड़ी का सारथी है सबको बराबर का हक़ दिलाता यही एक महारथी है सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है इसी से तो माँ और बच्चों की पहचान है।
पिता ज़मीर है पिता जागीर है जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है, कहने को सब ऊपर वाला देता है पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर है।
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