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GPSC MAINS Q&A | United States America (US)
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#Question169

🔴 સવાલ - 👳🏻‍♂ ભારતીય રજવાડાઓની એકીકરણ પ્રક્રિયામાં મુખ્ય વહીવટી મુદ્દાઓ અને સામાજિક-સાંસ્કૃતિક સમસ્યાઓનું મૂલ્યાંકન કરો.

#Gs1 #Itihas

🟢 જવાબ - ब्रिटिश भारत के अधीन राजशाही वाले राज्यों को रियासतें कहा जाता था। तत्कालीन समय में लगभग 500 से ज़्यादा रियासतें लगभग 48% भारतीय क्षेत्र एवं 28% जनसंख्या को कवर करती थीं। ये रियासतें वैधानिक रूप से ब्रिटिश भारत के भाग नहीं थे लेकिन ये पूर्णत: ब्रिटिश क्राउन के अधीनस्थ थीं।

💁🏻‍♂ रियासतों के एकीकरण में प्रशासनिक मुद्दे :

🔹 ब्रिटिश सर्वोच्चता की समाप्ति: वर्ष 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (माउंटबेटन योजना पर आधारित) ने भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोच्चता की समाप्ति की। कई शासकों ने अंग्रेज़ों के जाने को अपनी स्वायत्तता और विश्व मानचित्र पर अपने स्वतंत्र राज्य की घोषणा करने के आदर्श क्षण के रूप में देखा।

🔹विलय के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर: शासकों द्वारा निष्पादित विलय के दस्तावेज़, तीन विषयों अर्थात् रक्षा, विदेश मामलों और संचार पर भारत के डोमिनियन (या पाकिस्तान) में राज्यों के प्रवेश के लिये प्रदान किये गए।

🔹 प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता: कुछ रियासतों के पास प्राकृतिक संसाधनों का अच्छा भंडार था, यह माना जाता था कि ये रियासतें स्वायत्तता के साथ अपना गुजर-बसर कर सकती हैं और इसलिये स्वतंत्र रहना चाहती हैं।

🔹 कनेक्टिविटी और कृषि सहायता: राजपूत रियासत में हिंदू राजा और एक बड़ी हिंदू आबादी होने के बावजूद इसका झुकाव पाकिस्तान की ओर था। कहा जाता है कि जिन्ना ने महाराजा को अपनी सभी मांगों को सूचीबद्ध करने के लिये एक हस्ताक्षरित खाली कागज़ दिया था।

🔹 किसान विरोध: 1946-51 का तेलंगाना विद्रोह तेलंगाना क्षेत्र में हैदराबाद की रियासत के खिलाफ किसानों का कम्युनिस्ट नेतृत्त्व वाला विद्रोह था, जो आंदोलन के साथ आगे बढ़ा।

🤷🏻‍♂ सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियाँ

🔶 हैदराबाद : यह सभी रियासतों में सबसे बड़ी एवं सबसे समृद्धशाली रियासत थी, जो दक्कन पठार के अधिकांश भाग को कवर करती थी। इस रियासत की अधिसंख्यक जनसंख्या हिंदू थी, जिस पर एक मुस्लिम शासक निजाम मीर उस्मान अली का शासन था। इसने एक स्वतंत्र राज्य की मांग की एवं भारत में शामिल होने से मना कर दिया। इसने जिन्ना से मदद का आश्वासन प्राप्त किया और इस प्रकार हैदराबाद को लेकर कशमकश एवं उलझनें समय के साथ बढ़ती गईं। सरदार पटेल एवं अन्य मध्यस्थों के निवेदन एवं धमकियाँ निजाम के मानस पर कोई फर्क नहीं डाल सकीं और उसने लगातार यूरोप से हथियारों का आयात जारी रखा। परिस्थितियाँ तब भयावह हो गईं, जब सशस्त्र कट्टरपंथियों ने हैदराबाद की हिंदू प्रजा के खिलाफ हिंसक वारदातें शुरू कर दीं। 13 सितंबर, 1948 के ‘ऑपरेशन पोलो के तहत भारतीय सैनिकों को हैदराबाद भेजा गया। 4 दिन तक चले सशस्त्र संघर्ष के बाद अंतत: हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन गया। बाद में निजाम के आत्मसमर्पण पर उसे पुरस्कृत करते हुए हैदराबाद राज्य का गवर्नर बनाया गया।

🔶 जूनागढ़ : गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक रियासत, जो 15 अगस्त, 1947 तक भारत में शामिल नहीं हुई थी, की अधिकांश जनसंख्या हिंदू एवं राजा मुस्लिम था। 15 सितंबर, 1947 को नवाब मुहम्मद महाबत खानजी ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया और तर्क दिया कि जूनागढ़ समुद्र द्वारा पाकिस्तान से जुड़ा है। दो राज्यों के शासक मंगरोल एवं बाबरियावाड जो जूनागढ़ के अधीन थे, ने प्रतिक्रिया स्वरूप जूनागढ़ से स्वतंत्रता एवं भारत में शामिल होने की घोषणा की। इसकी अनुक्रिया में जूनागढ़ के नवाब ने सैन्यबल का प्रयोग कर इन दोनों राज्यों पर कब्ज़ा कर लिया, परिणामस्वरूप पड़ोसी राज्यों के राजाओं ने भारत सरकार से मदद की अपील की। भारत सरकार मानती थी कि यदि जूनागढ़ को पाकिस्तान में शामिल होने की अनुमति दे दी गई तो सांप्रदायिक दंगे और भयावह रूप धारण कर लेंगे, साथ ही बहुसंख्यक हिंदू जनसंख्या, जो कि 80% है, इस फैसले को स्वीकार नहीं करेगी। इस कारण भारत सरकार ने ‘‘जनमत संग्रह’’ से विलय के मुद्दे के समाधान का प्रस्ताव रखा। इसी दौरान भारत सरकार ने जूनागढ़ के लिये ईंधन एवं कोयले की आपूर्ति को रोक दिया एवं भारतीय सेनाओं ने मंगरोल एवं बाबरियावाड पर कब्ज़ा कर लिया। पाकिस्तान, भारतीय सेनाओं की वापसी की शर्त के साथ ‘जनमत संग्रह’ के लिये सहमत हो गया, लेकिन भारत ने इस शर्त को खारिज कर दिया। 7 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ की अदालत ने भारत सरकार को राज्य का प्रशासन अपने हाथ में लेने के लिये आमंत्रित किया। जूनागढ़ के दीवान सर शाह नवाज भुट्टो (जुल्फीकार अली भुट्टो के पिता), ने हस्तक्षेप के लिये भारत सरकार को आमंत्रित करने का निर्णय लिया। फरवरी, 1948 को ‘जनमत संग्रह’ कराया गया, जो लगभग सर्वसम्मति से भारत में विलय के पक्ष में गया।

#Question169

🔴 સવાલ - 👳🏻‍♂ ભારતીય રજવાડાઓની એકીકરણ પ્રક્રિયામાં મુખ્ય વહીવટી મુદ્દાઓ અને સામાજિક-સાંસ્કૃતિક સમસ્યાઓનું મૂલ્યાંકન કરો.

#Gs1 #Itihas

🟢 જવાબ - ब्रिटिश भारत के अधीन राजशाही वाले राज्यों को रियासतें कहा जाता था। तत्कालीन समय में लगभग 500 से ज़्यादा रियासतें लगभग 48% भारतीय क्षेत्र एवं 28% जनसंख्या को कवर करती थीं। ये रियासतें वैधानिक रूप से ब्रिटिश भारत के भाग नहीं थे लेकिन ये पूर्णत: ब्रिटिश क्राउन के अधीनस्थ थीं।

💁🏻‍♂ रियासतों के एकीकरण में प्रशासनिक मुद्दे :

🔹 ब्रिटिश सर्वोच्चता की समाप्ति: वर्ष 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम (माउंटबेटन योजना पर आधारित) ने भारतीय राज्यों पर ब्रिटिश क्राउन की सर्वोच्चता की समाप्ति की। कई शासकों ने अंग्रेज़ों के जाने को अपनी स्वायत्तता और विश्व मानचित्र पर अपने स्वतंत्र राज्य की घोषणा करने के आदर्श क्षण के रूप में देखा।

🔹विलय के दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर: शासकों द्वारा निष्पादित विलय के दस्तावेज़, तीन विषयों अर्थात् रक्षा, विदेश मामलों और संचार पर भारत के डोमिनियन (या पाकिस्तान) में राज्यों के प्रवेश के लिये प्रदान किये गए।

🔹 प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता: कुछ रियासतों के पास प्राकृतिक संसाधनों का अच्छा भंडार था, यह माना जाता था कि ये रियासतें स्वायत्तता के साथ अपना गुजर-बसर कर सकती हैं और इसलिये स्वतंत्र रहना चाहती हैं।

🔹 कनेक्टिविटी और कृषि सहायता: राजपूत रियासत में हिंदू राजा और एक बड़ी हिंदू आबादी होने के बावजूद इसका झुकाव पाकिस्तान की ओर था। कहा जाता है कि जिन्ना ने महाराजा को अपनी सभी मांगों को सूचीबद्ध करने के लिये एक हस्ताक्षरित खाली कागज़ दिया था।

🔹 किसान विरोध: 1946-51 का तेलंगाना विद्रोह तेलंगाना क्षेत्र में हैदराबाद की रियासत के खिलाफ किसानों का कम्युनिस्ट नेतृत्त्व वाला विद्रोह था, जो आंदोलन के साथ आगे बढ़ा।

🤷🏻‍♂ सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौतियाँ

🔶 हैदराबाद : यह सभी रियासतों में सबसे बड़ी एवं सबसे समृद्धशाली रियासत थी, जो दक्कन पठार के अधिकांश भाग को कवर करती थी। इस रियासत की अधिसंख्यक जनसंख्या हिंदू थी, जिस पर एक मुस्लिम शासक निजाम मीर उस्मान अली का शासन था। इसने एक स्वतंत्र राज्य की मांग की एवं भारत में शामिल होने से मना कर दिया। इसने जिन्ना से मदद का आश्वासन प्राप्त किया और इस प्रकार हैदराबाद को लेकर कशमकश एवं उलझनें समय के साथ बढ़ती गईं। सरदार पटेल एवं अन्य मध्यस्थों के निवेदन एवं धमकियाँ निजाम के मानस पर कोई फर्क नहीं डाल सकीं और उसने लगातार यूरोप से हथियारों का आयात जारी रखा। परिस्थितियाँ तब भयावह हो गईं, जब सशस्त्र कट्टरपंथियों ने हैदराबाद की हिंदू प्रजा के खिलाफ हिंसक वारदातें शुरू कर दीं। 13 सितंबर, 1948 के ‘ऑपरेशन पोलो के तहत भारतीय सैनिकों को हैदराबाद भेजा गया। 4 दिन तक चले सशस्त्र संघर्ष के बाद अंतत: हैदराबाद भारत का अभिन्न अंग बन गया। बाद में निजाम के आत्मसमर्पण पर उसे पुरस्कृत करते हुए हैदराबाद राज्य का गवर्नर बनाया गया।

🔶 जूनागढ़ : गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक रियासत, जो 15 अगस्त, 1947 तक भारत में शामिल नहीं हुई थी, की अधिकांश जनसंख्या हिंदू एवं राजा मुस्लिम था। 15 सितंबर, 1947 को नवाब मुहम्मद महाबत खानजी ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया और तर्क दिया कि जूनागढ़ समुद्र द्वारा पाकिस्तान से जुड़ा है। दो राज्यों के शासक मंगरोल एवं बाबरियावाड जो जूनागढ़ के अधीन थे, ने प्रतिक्रिया स्वरूप जूनागढ़ से स्वतंत्रता एवं भारत में शामिल होने की घोषणा की। इसकी अनुक्रिया में जूनागढ़ के नवाब ने सैन्यबल का प्रयोग कर इन दोनों राज्यों पर कब्ज़ा कर लिया, परिणामस्वरूप पड़ोसी राज्यों के राजाओं ने भारत सरकार से मदद की अपील की। भारत सरकार मानती थी कि यदि जूनागढ़ को पाकिस्तान में शामिल होने की अनुमति दे दी गई तो सांप्रदायिक दंगे और भयावह रूप धारण कर लेंगे, साथ ही बहुसंख्यक हिंदू जनसंख्या, जो कि 80% है, इस फैसले को स्वीकार नहीं करेगी। इस कारण भारत सरकार ने ‘‘जनमत संग्रह’’ से विलय के मुद्दे के समाधान का प्रस्ताव रखा। इसी दौरान भारत सरकार ने जूनागढ़ के लिये ईंधन एवं कोयले की आपूर्ति को रोक दिया एवं भारतीय सेनाओं ने मंगरोल एवं बाबरियावाड पर कब्ज़ा कर लिया। पाकिस्तान, भारतीय सेनाओं की वापसी की शर्त के साथ ‘जनमत संग्रह’ के लिये सहमत हो गया, लेकिन भारत ने इस शर्त को खारिज कर दिया। 7 नवंबर, 1947 को जूनागढ़ की अदालत ने भारत सरकार को राज्य का प्रशासन अपने हाथ में लेने के लिये आमंत्रित किया। जूनागढ़ के दीवान सर शाह नवाज भुट्टो (जुल्फीकार अली भुट्टो के पिता), ने हस्तक्षेप के लिये भारत सरकार को आमंत्रित करने का निर्णय लिया। फरवरी, 1948 को ‘जनमत संग्रह’ कराया गया, जो लगभग सर्वसम्मति से भारत में विलय के पक्ष में गया।


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