– राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने (सीपीसीबी) और अधिकारियों से जवाब मांगा है।
– हरित निकाय एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने ताड़ के पेड़ों की कथित रूप से बड़े पैमाने पर कटाई पर एक समाचार पत्र की रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया था।
– जिसमें 2016 से 2025 तक बिहार में 2,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
5 जून 2025 को दिए थे आदेश– एनजीटी के न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ ने 5 जून 2025 को दिए आदेश में कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक दर्जनों ऊंचे ताड़ के पेड़ों को गिराया जा रहा है, जिससे अधिक बार बिजली गिरने की घटनाएं हो रही हैं।
– जिसके परिणामस्वरूप मौतें हो रही हैं।– रिपोर्ट के अनुसार, बिहार की शराबबंदी नीति के कारण ताड़ी निकालने पर प्रतिबंध लगने के बाद ताड़ के पेड़ों का आर्थिक मूल्य खत्म हो गया। तब से उन्हें बड़े पैमाने पर काटा जा रहा है।
इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले
– एनजीटी ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ताड़ के पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई के बाद बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि होने लगी।– सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में औरंगाबाद, पटना, नालंदा, कैमूर, रोहतास, भोजपुर और बक्सर शामिल हैं।
– रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में ताड़ के वृक्षों की खेती के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में 40 प्रतिशत की कमी आई है तथा वृक्षारोपण बंद हो गया है।– इसमें कहा गया है कि यह मामला पर्यावरण अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आता है।
– न्यायाधिकरण ने सीपीसीबी, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय और बिहार आपदा प्रबंधन विभाग को पक्ष या प्रतिवादी बनाया।
बिहार सरकार का ‘इंद्र वज्र’ ऐप– बिहार सरकार ने बारिश के समय में वज्रपात से कैसे लोगों को अलर्ट किया जाए इसके लिए एक ऐप का निर्माण करवाया था।
– बिहार सरकार द्वारा ‘इंद्र वज्र’ मोबाइल ऐप को डेवलप किया गया जो वज्रपात (ठनका) से पहले चेतावनी देता है।– यह ऐप उपयोगकर्ताओं को वज्रपात से 40-45 मिनट पहले अलर्ट करता है, जिससे वे सतर्क हो सकते हैं और जान-माल की क्षति को कम कर सकते हैं.
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