जीवाश्म क्या होता है? – जीवाश्म, पौधों और जानवरों के प्राचीन अवशेष होते हैं जो चट्टानों में संरक्षित हो जाते हैं। – ये आमतौर पर तब बनते हैं जब कोई जीव मर जाता है और जल्दी से तलछट (जैसे कीचड़, रेत, या राख) से ढक जाता है। – समय के साथ, तलछट कठोर होकर चट्टान बन जाती है, और जीव के अवशेष पत्थर में बदल जाते हैं।
किस तरह का फॉसिल है सोनभद्र में – सोनभद्र के फॉसिल पार्क में 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है। – यहां शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स जीवाश्म हैं।
फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र के बारे में – यह फॉसिल्स पार्क सोनभद्र जिले के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखन गाँव के पास स्थित है। – लगभग 25 हेक्टेयर में फैला यह पार्क विंध्य पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है। – इसकी विशेषता ऊबड़-खाबड़ इलाका, खड़ी ढलानें और एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक परिदृश्य है। – यह पार्क लगभग 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है, जो इसे दुनिया के सबसे पुराने और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित जीवाश्म स्थलों में से एक बनाता है। – यह स्थल कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (KWLS) के संरक्षण में आता है। – अभयारण्य के गुरमा रेंज में स्थित होने के कारण, इसे अपने जीवाश्मों और आस-पास के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए बहु-स्तरीय कानूनी ढांचे का लाभ मिलता है। – इस स्थल पर न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप रहा है, जिससे जीवाश्म अपनी प्राकृतिक अवस्था में बने हुए हैं।
Tentative World Heritage Site (संभावित/अस्थाई विश्व धरोहर स्थल) – ये वे स्थल होते हैं जिन्हें किसी देश की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है कि इन्हें भविष्य में UNESCO विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाए। – इन्हें Tentative List में रखा जाता है। – किसी स्थल को आधिकारिक World Heritage Site बनाने के लिए, पहले Tentative List में होना अनिवार्य है। – यह एक प्रारंभिक चरण होता है।
UNESCO World Heritage Site (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) – ये वे स्थल होते हैं जिन्हें UNESCO द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। – ये स्थल असाधारण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक या मिश्रित (both) महत्व के होते हैं। – इन्हें UNESCO की World Heritage Committee द्वारा चयनित किया जाता है।
इससे पहले मार्च 2025 में 6 स्थलों को विश्व धरोहर की (Tentative) सूची में शामिल किया गया था। 1) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़) 2) मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान) 3) मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात) 4) चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा) 5) उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार) 6) बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
—- भारत में यूनेस्को अस्थाई (Tentative) वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 63 – फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र (UP) – कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़) – मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान) – मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात) – चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा) – उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार) – बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र}) – ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश – खूनी भंडारा, बुरहानपुर – चंबल घाटी के रॉक कला स्थल – भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर – रामनगर, मण्डला के गोंड स्मारक – द हिस्टोरिक एनसेंबल ऑफ धामनार – कोंकण तट, महाराष्ट्र के साथ तटीय किलेबंदी का क्रमिक नामांकन – सूर्य मंदिर, मोढेरा और इसके आसपास के स्मारक – उनाकोटी, उनाकोटी रेंज, उनाकोटी जिले की रॉक-कट मूर्तियां और राहतें – वडनगर – एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर, गुजरात – भारत के कोंकण क्षेत्र की ज्योग्लिफ्स – जिंगकिएंग जरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स – श्री वीरभद्र मंदिर और अखंड बैल (नंदी), लेपाक्षी (विजयनगर – मूर्तिकला और चित्रकारी कला परंपरा) – वाराणसी के ऐतिहासिक शहर का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट – कांचीपुरम के मंदिर – हायर बेंकल, मेगालिथिक साइट – नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट – सतपुड़ा टाइगर रिजर्व – महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला का क्रमिक नामांकन – ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर – गारो हिल्स संरक्षण क्षेत्र (GHCA) – केबुल लामजाओ संरक्षण क्षेत्र – शीत रेगिस्तान सांस्कृतिक परिदृश्य भारत – उत्तरापथ, बादशाही सड़क, सड़क-ए-आज़म, ग्रैंड ट्रंक रोड के साथ साइटें – मंदिर वास्तुकला का विकास – ऐहोल-बादामी-पट्टदकल – डेक्कन सल्तनत के स्मारक और किले – सेलुलर जेल, अंडमान द्वीप
जीवाश्म क्या होता है? – जीवाश्म, पौधों और जानवरों के प्राचीन अवशेष होते हैं जो चट्टानों में संरक्षित हो जाते हैं। – ये आमतौर पर तब बनते हैं जब कोई जीव मर जाता है और जल्दी से तलछट (जैसे कीचड़, रेत, या राख) से ढक जाता है। – समय के साथ, तलछट कठोर होकर चट्टान बन जाती है, और जीव के अवशेष पत्थर में बदल जाते हैं।
किस तरह का फॉसिल है सोनभद्र में – सोनभद्र के फॉसिल पार्क में 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है। – यहां शैवाल और स्ट्रॉमैटोलाइट्स जीवाश्म हैं।
फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र के बारे में – यह फॉसिल्स पार्क सोनभद्र जिले के मुख्यालय रॉबर्ट्सगंज से लगभग 15 किलोमीटर दूर सलखन गाँव के पास स्थित है। – लगभग 25 हेक्टेयर में फैला यह पार्क विंध्य पर्वत श्रृंखला के भीतर स्थित है। – इसकी विशेषता ऊबड़-खाबड़ इलाका, खड़ी ढलानें और एक अद्वितीय भूवैज्ञानिक परिदृश्य है। – यह पार्क लगभग 1.4 बिलियन वर्ष पुराने जीवाश्मों के समृद्ध भंडार है, जो इसे दुनिया के सबसे पुराने और सबसे अच्छी तरह से संरक्षित जीवाश्म स्थलों में से एक बनाता है। – यह स्थल कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (KWLS) के संरक्षण में आता है। – अभयारण्य के गुरमा रेंज में स्थित होने के कारण, इसे अपने जीवाश्मों और आस-पास के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए बहु-स्तरीय कानूनी ढांचे का लाभ मिलता है। – इस स्थल पर न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप रहा है, जिससे जीवाश्म अपनी प्राकृतिक अवस्था में बने हुए हैं।
Tentative World Heritage Site (संभावित/अस्थाई विश्व धरोहर स्थल) – ये वे स्थल होते हैं जिन्हें किसी देश की सरकार द्वारा प्रस्तावित किया गया है कि इन्हें भविष्य में UNESCO विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया जाए। – इन्हें Tentative List में रखा जाता है। – किसी स्थल को आधिकारिक World Heritage Site बनाने के लिए, पहले Tentative List में होना अनिवार्य है। – यह एक प्रारंभिक चरण होता है।
UNESCO World Heritage Site (यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल) – ये वे स्थल होते हैं जिन्हें UNESCO द्वारा आधिकारिक रूप से विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई है। – ये स्थल असाधारण सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, प्राकृतिक या मिश्रित (both) महत्व के होते हैं। – इन्हें UNESCO की World Heritage Committee द्वारा चयनित किया जाता है।
इससे पहले मार्च 2025 में 6 स्थलों को विश्व धरोहर की (Tentative) सूची में शामिल किया गया था। 1) कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़) 2) मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान) 3) मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात) 4) चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा) 5) उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार) 6) बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र})
—- भारत में यूनेस्को अस्थाई (Tentative) वर्ल्ड हेरिटेज साइट: 63 – फॉसिल्स पार्क, सोनभद्र (UP) – कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (छत्तीसगढ़) – मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर (तेलंगान) – मौर्य मार्गों के साथ अशोक शिलालेख स्थल (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात) – चौसठ योगिनी मंदिरों (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा) – उत्तर भारत में गुप्त मंदिर (मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार) – बुंदेलों के महल-किले (मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश {बुंदेलखंड क्षेत्र}) – ग्वालियर किला, मध्य प्रदेश – खूनी भंडारा, बुरहानपुर – चंबल घाटी के रॉक कला स्थल – भोजेश्वर महादेव मंदिर, भोजपुर – रामनगर, मण्डला के गोंड स्मारक – द हिस्टोरिक एनसेंबल ऑफ धामनार – कोंकण तट, महाराष्ट्र के साथ तटीय किलेबंदी का क्रमिक नामांकन – सूर्य मंदिर, मोढेरा और इसके आसपास के स्मारक – उनाकोटी, उनाकोटी रेंज, उनाकोटी जिले की रॉक-कट मूर्तियां और राहतें – वडनगर – एक बहुस्तरीय ऐतिहासिक शहर, गुजरात – भारत के कोंकण क्षेत्र की ज्योग्लिफ्स – जिंगकिएंग जरी: लिविंग रूट ब्रिज कल्चरल लैंडस्केप्स – श्री वीरभद्र मंदिर और अखंड बैल (नंदी), लेपाक्षी (विजयनगर – मूर्तिकला और चित्रकारी कला परंपरा) – वाराणसी के ऐतिहासिक शहर का प्रतिष्ठित रिवरफ्रंट – कांचीपुरम के मंदिर – हायर बेंकल, मेगालिथिक साइट – नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट – सतपुड़ा टाइगर रिजर्व – महाराष्ट्र में मराठा सैन्य वास्तुकला का क्रमिक नामांकन – ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर – गारो हिल्स संरक्षण क्षेत्र (GHCA) – केबुल लामजाओ संरक्षण क्षेत्र – शीत रेगिस्तान सांस्कृतिक परिदृश्य भारत – उत्तरापथ, बादशाही सड़क, सड़क-ए-आज़म, ग्रैंड ट्रंक रोड के साथ साइटें – मंदिर वास्तुकला का विकास – ऐहोल-बादामी-पट्टदकल – डेक्कन सल्तनत के स्मारक और किले – सेलुलर जेल, अंडमान द्वीप