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रामराज्यवासी त्वम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्।
न्यायार्थ युद्धस्व, सर्वेषु सम चर।।

परिपालय दुर्बलम्, विद्धि धर्मं वरम्।
प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्।।

भावार्थ- तुम रामराज्य वासी, अपना मस्तक उँचा रखो।
न्याय के लिए लडो, सबको समान मानो।।

दुर्बल की रक्षा करो, धर्म को सबसे उँचा जानो।
अपना मस्तक उँचा रखो, तुम रामराज्य के वासी हो।।

समस्त प्रियजनों को श्री रामनवमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
@ancientindia1

रामराज्यवासी त्वम्, प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्।
न्यायार्थ युद्धस्व, सर्वेषु सम चर।।

परिपालय दुर्बलम्, विद्धि धर्मं वरम्।
प्रोच्छ्रयस्व ते शिरम्, रामराज्यवासी त्वम्।।

भावार्थ- तुम रामराज्य वासी, अपना मस्तक उँचा रखो।
न्याय के लिए लडो, सबको समान मानो।।

दुर्बल की रक्षा करो, धर्म को सबसे उँचा जानो।
अपना मस्तक उँचा रखो, तुम रामराज्य के वासी हो।।

समस्त प्रियजनों को श्री रामनवमी के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
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