---------: देवी पुराण में श्रीकृष्ण :---------
हमारे सर्वश्रेष्ठ पवित्र गर्न्थो में से एक है ' देवी पुराण ', यह परम् पवित्र पुराण, अपने अंदर अखिल शास्त्रों के रहस्यो को समेटे हुए है और आगमो में अपना पवित्र स्थान रखता है। इस पुराण में, 18000 श्लोक है। इस पवित्र ग्रन्थ के रचियता महृषि वेदव्यास जी है।
1 . देवी पुराण में, यह उल्लेखित है कि, श्री कृष्ण भगवान विष्णु के नहीं बल्कि माँ काली के अवतार है। तथा यही नहीं , भगवान श्री कृष्ण की प्रेमिका, देवी लक्ष्मी नहीं है। बल्कि , भगवान शिव की अवतार बताई गई है।
देवी पुराण में यह वर्णित है कि, भगवान शिव ने इस धरती में फैलते पाप का विनाश करने के लिए, द्वापर युग के अंत में, माँ काली को आदेश दिया था कि, वे मायापुरुष के रूप में, देवकी के गर्भ से अवतरित हो व पापियो का नाश करे.
2 . देवी पुराण में यह भी वर्णित है कि, स्वयं महादेव शिव, वृषभानु की पुत्री रूप में जन्मे थे। तथा उनका नाम राधा था व भगवान श्रीकृष्ण की आठ प्रमुख पटरानियाँ भी, महादेव शिव की ही अंश थी।
देवी पार्वती की जया - विजया नामक दो सखिया श्री दाम एवं वासुदाम नामक गोप के रूप में अवतरित हुए थे।
3 . देवी पुराण के अनुसार, बलराम भगवान विष्णु के अवतार थे तथा जब पांडव अपने वनवास में भटक रहे थे , तो वे कामख्या पीठ पहुचे थे , वहां पांडवो ने देवी की तपस्या करी थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, देवी प्रकट हुई तथा उन्होंने पांडवो को वरदान दिया था कि, वे श्री कृष्ण के रूप में, उनकी सहायता करेंगी तथा कौरवों का नाश करेंगी।
4 . जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ, तो माँ काली के रूप में अवतरित भगवान श्री कृष्ण ने , वापस अपने धाम में जाने की इच्छा जताई। इसके लिए स्वयं नन्दी महाराज, देवी माँ काली को वापस लेने के लिए रत्नजड़ित रथ, जिसे सिंह घसीट रह था, धरती में लेकर आये ।
5 . भगवान श्री कृष्ण रूपी देवी काली जब अपने धाम कैलाश पर्वत को वापस लौटने के लिए, रत्नजड़ित उस रथ पर बैठी, तो उनके साथ उनकी आठ पटरानियां भी भगवान शिव में मिलकर, कैलाश धाम को देवी काली के साथ वापस लौट चली।
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