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🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 22 मार्च 2024
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - त्रयोदशी पूर्ण रात्रि तक
नक्षत्र - मघा 23 मार्च प्रातः 04:28 तक तत्पश्चात पूर्वा फाल्गुनी
योग - धृति शाम 06:36 तक तत्पश्चात शूल
राहु काल - दोपहर 02:18 से 03:49 तक
सूर्योदय - 06:42
सूर्यास्त - 06:52
दिशा शूल - दक्षिण
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:07 से 05:54 तक
अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:22 से 01:11 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:10 तक
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत
विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹प्रदोष व्रत : 22 मार्च🌹

🌹 सूतजी कहते हैं - त्रयोदशी तिथि में सायंकाल प्रदोष कहा गया है । धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुषों को प्रदोष में नियम पूर्वक भगवान् शिव की पूजा, होम, कथा और गुणगान करने चाहिये ।

🔹दरिद्रता के तिमिर से अन्धे और भवसागर में डूबे हुए संसार भय से भीरु मनुष्यों के लिये यह प्रदोषव्रत पार लगानेवाली नौका है ।

🔸भगवान् शिव की पूजा करने से मनुष्य दरिद्रता, मुर्त्यु-दुःख और पर्वत के समान भारी ऋण-भार को शीघ्र ही दूर कर के सम्पत्तियों से पूजित होता है।
(स्कन्द पुराण : ब्रम्होत्तर खंड)

🔸कालसर्प योग से मुक्ति पाने के लिए🔸

🌹 ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जिनके ऊपर केसुड़े (पलाश ) के रंग होली के रंग का फुवारा लग जाता है। फिर कालसर्प योग से मुक्ति हो गई । कालसर्प योग के भय से पैसा खर्चना नहीं है और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं अपने को दुखी करना नहीं है । - पूज्य बापूजी

🔸पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??🔸

🔹1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

🔹2- इन दिनों में भुने हुए चने - ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है ।

🔹3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

🔹4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था । इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए । नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो । होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।

🔹5 - लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है ।

🔹6 - होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना ।

🔹7 - मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को (इसबार 24 मार्च की रात्रि को) भगवान नाम का जप अवश्य करें ।
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 23 मार्च 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - फाल्गुन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - त्रयोदशी सुबह 07:13 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी पूर्ण रात्रि तक*
*योग - शूल रात्रि 07:35 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - सुबह 09:43 से 11:15 तक*
*सूर्योदय - 06:41*
*सूर्यास्त - 06:52*
*दिशा शूल - पूर्व*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:06 से 05:53 तक*
*अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:22 से 01:11 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:09 तक*
*व्रत पर्व विवरण - शहीद दिवस*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34/38)*

*🔹अमृततुल्य गोदुग्ध के अनुपम लाभ (भाग-१)🔹*

*🔸भारतीय नस्ल की गाय के दूध को क्यों कहा गया है अमृत ? क्या कारण है कि चिकित्सक इसे सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए पौष्टिक भोजन के रूप में तथा विभिन्न रोगों से रक्षा के लिए सेवन करने का सुझाव देते हैं ? स्वस्थ शरीर, प्रसन्न मन व तेजस्वी बुद्धि के लिए क्यों आवश्यक माना जाता है यह दूध ?*

*🔸क्यों यह माँ के दूध के बाद बच्चों के लिए सबसे प्रशस्त माना गया है ? इस दूध की कुछ विशेषताएँ :*

*🔸(१) इसमें ऐसे अनुपम गुण होते हैं कि इसे खाद्य पदार्थों में उत्तम माना जाता है । खाद्य पदार्थों को पचाने में जितनी ऊर्जा व्यय होती है उससे कम ऊर्जा इसे पचाने में व्यय होती है । इसे शरीर की सभी धातुओं की वृद्धि करनेवाला मधुर रस भी कहा गया है ।*

*🔸(२) यह आहारमात्र नहीं है, आयुर्वेद में इसे प्रकृति-प्रदत्त रसायन (टॉनिक) माना गया है जो दुर्बल तथा रोगियों को नवजीवन प्रदान करता है ।*

*🔸(३) यह पोषक तत्त्वों से भरपूर व सात्त्विक होने से माँ के दूध के बाद बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त माना गया है । बालकों के शरीर को अच्छी तरह पोषित करता है और उन्हें तंदुरुस्त बनाता है ।*

*🔸(४) ओज के दस गुणों से युक्त होने से यह जीवनीय शक्ति को बढ़ानेवाले द्रव्यों में सबसे श्रेष्ठ है । रोगी मनुष्य को सबल और पुष्ट करता है तथा वृद्धावस्था को दूर रखता है ।*

*🔸(५) मस्तिष्क और ज्ञानतंतुओं को पोषण देकर बुद्धि, स्मृति, बल तथा स्फूर्ति बढ़ाने में यह बेजोड़ है ।*

*🔸(६) यह वात-पित्तजनित रोगों का शमन करता है ।क्षयरोग (T.B.), पुराना बुखार, पेट के रोग, योनिरोग, मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन एवं रुकावट), रक्तपित्त (शरीर के किसी भाग से खून निकलना), भूख-प्यास की अधिकता, मानसिक रोग तथा थकान को दूर करने वाला है ।*

*🔸(७) बालक, वृद्ध तथा कम वजन एवं प्रदीप्त जठराग्नि वाले व्यक्तियों को इसका सेवन अत्यंत हितकर है । इससे शीघ्र ही वीर्य की वृद्धि होती है और वीर्य गाढ़ा होता है ।*

*🔸(८) इसके नित्य सेवन से शरीर के विकास के लिए आवश्यक विटामिन ए, बी १, बी २, बी ३, बी ६, बी १२ एवं डी के साथ कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस एवं पोटैशियम आदि खनिज तत्त्वों की पूर्ति सहजता से हो जाती है ।*

*🔸(९) इसमें प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है । प्रोटीन शरीर में नयी कोशिकाओं का निर्माण करके शरीर की वृद्धि एवं विकास करने में सहायक है ।*

*🔸जिन्हें कफ की समस्या है उन्हें कफ-शमन हेतु दूध में २-३ काली मिर्च तथा आधा से एक ग्राम सोंठ का चूर्ण मिला के सेवन करना विशेष लाभकारी है ।*

*🔸गाय का दूध सात्त्विक होने से बुद्धि अच्छे विचार तथा अच्छे कर्मों की ओर प्रवृत्त होती है । इससे परिशुद्ध भावना उत्पन्न होती रहती है । इन सभी गुणों के कारण इसे 'धरा का अमृत' कहा जाता है । इसलिए मनुष्यों को नित्य गाय के शुद्ध दूध का सेवन करना चाहिए ।*

*🔹सावधानी : नया बुखार, त्वचा रोग, दस्त, कृमि, गठिया तथा दमा (asthma), खाँसी आदि कफ-संबंधी एवं आमजनित समस्याओं में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*ऋषिप्रसाद : मार्च 2024*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 24 मार्च 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - फाल्गुन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी सुबह 09:54 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - पूर्वा फाल्गुनी सुबह 07:54 तक तत्पश्चात उत्तरा फाल्गुनी*
*योग - गण्ड रात्रि 08:34 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - शाम 05:21 से 06:52 तक*
*सूर्योदय - 06:40*
*सूर्यास्त - 06:52*
*दिशा शूल - पश्चिम*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:05 से 05:52 तक*
*अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:21 से 01:10 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:09 तक*
*व्रत पर्व विवरण - व्रत पूर्णिमा, हुताशनी पूर्णिमा, होलिका दहन, श्री हरि बाबा जयंती (ति.अ.)*
*विशेष - चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🌹 मंत्र-साफल्य दिवस : होली*
*होली रात्रि जागरण - 24 मार्च 2024*

*🌹 होली के दिन किया हुआ जप लाख गुना फलदायी होता है । यह साफल्य – दिवस है, घुमक्कड़ों की नाई भटकने का दिन नहीं है । मौन रहना, उपवास पर रहना, फलाहार करना और अपना-अपना गुरुमंत्र जपना ।*

*🌹 इस दिन जिस निमित्त से भी जप करोंगे वह सिद्ध होगा । ईश्वर को पाने के लिए जप करना । नाम –जप की कमाई बढ़ा देना ताकि दुबारा माँ की कोख में उल्टा होकर न टंगना पड़े । पेशाब के रास्ते से बहकर नाली में गिरना न पड़े । होली के दिन लग जाना लाला- लालियाँ ! आरोग्य मंत्र की भी कुछ मालाएँ कर लेना ।*

*🌹 अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारणभेषजात ।*
*नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम ।।*

*🌹 ‘ हे अच्युत ! हे अनंत ! हे गोविंद ! – इस नामोच्चारणरूप औषधि से तमाम रोग नष्ट हो जाते है, यह मैं सत्य कहता हूँ, सत्य कहता हूँ |’ (धन्वंतरि महाराज)*

*🌹 दोनों नथुनों से श्वास लेकर करीब सवा से डेढ़ मिनट तक रोकते हुए मन–ही–मन दुहराना –*

*🌹 नासै रोग हरै सब पीरा ।जपत निरंतर हनुमत बीरा ।।*
*फिर 50 से 60 सेकंड श्वास बाहर रोककर मंत्र दुहराना । इस दिन जप-ध्यान का फायदा उठाना, काम-धंधे तो होते रहेंगे । अपने-अपने कमरे में गोझरणमिश्रित पानी से पोछा लगाकर थोडा गंगाजल छिडक के बैठ जाना । हो सके तो इस दिन गोझरण मिला के स्नान कर लेना ।*

*लक्ष्मी स्थायी रखने की इच्छा रखनेवाले गाय का दही शरीर पर रगड़के स्नान कर लेना । लेकिन वास्तविक तत्त्व तो सदा स्थायी है, उसमें अपने ‘मैं’ को मिला दो बस, हो गया काम !*

*🌹 ब्रम्हचर्य-पालन में मदद के लिए “ॐ अर्यमायै नम:” मंत्र का जप बड़ा महत्त्वपूर्ण है। - पूज्य संत श्री आशारामजी बापू*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 मार्च 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - फाल्गुन*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा दोपहर 12:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - उत्तरा फाल्गुनी सुबह 10:38 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग - वृद्धि रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - सुबह 08:10 से 09:42 तक*
*सूर्योदय - 06:39*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - पूर्व*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:52 तक*
*अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:21 से 01:10 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:09 तक*
*व्रत पर्व विवरण - फाल्गुनी पूर्णिमा, वसंत पूर्णिमा, होली, धुलेंडी, धूलिवंदन, होलाष्टक समाप्त, जैन अट्ठाई समाप्त, श्री चैतन्य महाप्रभु जयंती (ति.अ.), छाया चन्द्रग्रहण (भारत में नहीं दिखेगा, नियम पालनीय नहीं हैं ।)*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹होली, धुलेंडी - 25 मार्च 2024🔹*

*🔹होली में साबधानी🔹*

*🔸प्राचीन काल में पलाश के फूलों से तैयार सात्त्विक रंग अथवा गुलाल, कुमकुम, हल्दी से होली खेली जाती थी । लेकिन आज के परिवर्तन-प्रधान युग में अनेक प्रकार के रासायनिक तत्वों से बने पक्के रंगों का तथा कई स्थानों पर तो वार्निश, ऑईल, पेंट व चमकीले पेंट्स का भी होली खेलने में उपयोग किया जाता है ।*

*🔸होली खेलते समय निम्नलिखित सावधानियाँ बरतने से आप हानिकारक रसायनयुक्त रंगों के दुष्प्रभाव से बच सकते हैं :-*

*🔸सावधानी रखिये कि कहीं होली का रंग आँख या मुँह में न चला जाय अन्यथा आँखों की ज्योति अथवा फेफड़ों व आँतों में हानि पहुँचा सकता है । अतः जब कोई रंग लगाये तब मुँह व आँखें बंद रखिये ।*

*🔸होली खेलने से पहले ही अपने शरीर पर नारियल, सरसों अथवा खाद्य तेल की अच्छी तरह से मालिश कर लीजिये ताकि त्वचा पर पक्के रंगों का प्रभाव न पड़े और साबुन लगानेमात्र से ही वे रंग निकल जायें । अपने बालों में भी तेल की अच्छी तरह से मालिश कर लीजिये ताकि रासायनिक रंगों का सिर पर कोई प्रभाव न पड़े ।*

*🔸इस प्रकार की मालिश के अभाव में रासायनिक रंग त्वचा पर गहरा प्रभाव छोड़ते हैं तथा त्वचा में कुछ दिनों तक जलन एवं शुष्कता बनी रहती है ।*

*🔸जो लोग होली खेलने में वार्निश,आईल पेंट या अन्य किसी प्रकार के चमकदार पेंट का उपयोग करते हैं, ऐसे लोगों से सावधान रहिये । भूलकर भी उस टोली में शामिल न होइये जिसमें इस प्रकार के घातक पदार्थों से होली खेली जाती हो । ये रंग चेहरे की त्वचा के लिए अत्याधिक हानिकारक साबित हुए हैं । कभी-कभी तो इनसे पूरा चेहरा ही काला या दागदार बन जाता है । यदि कोई आप पर ऐसा रंग जबरन लगा भी दे तो तुरंत ही घर पहुँचकर रुई के फाहे को मिट्टी के तेल में डुबोकर उससे धीरे-धीरे रंग साफ कर लीजिये । फिर साबुन से चेहरा धो डालिये ।*

*🔸त्वचा पर लगे पक्के रंग को बेसन, आटा, दूध, हल्दी व तेल के मिश्रण से बना उबटन बार-बार लगाकर एवं उतारकर साफ किया जा सकता है । यदि उबटन के पूर्व उस स्थान को नींबू से रगड़कर साफ कर लिया जाए तो और भी लाभ होगा । नाखूनों के आस-पास की त्वचा में जमे रंग को नींबू द्वारा घिसकर साफ किया जा सकती है ।*

*🔸होली घर के बजाय बरामदे में या सड़क पर ही खेलें ताकि घर के भीतर रखी वस्तुओं पर उनका दुष्प्रभाव न पड़े और होली खेलते समय फटे या घिसे हए पतले वस्त्र न पहने ताकि किसी भी प्रकार की लज्जाजनक स्थिति का सामना न करना पड़े ।*

*🔸होली के अवसर पर देहातों में भाँग व शहरों में शराब पीने का अत्याधिक प्रचलन है। पर नशे के मद में चूर होकर व्यक्ति विवेकहीन पशुओं जैसे कृत्य करने लगता है । क्योंकि नशा मस्तिष्क से विवेक नियंत्रण हटा देता है, बुद्धि में उचित निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास कर देता है और मनुष्य मन, वचन व कर्म से अनेक प्रकार के असामाजिक कार्य कर बैठता है। अतः इस पर्व पर किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थ का सेवन न करें ।*

*🔸शिष्टता व संयम का पालन करें । भाई सिर्फ भाइयों की व बहनें सिर्फ बहनों की ही टोली में होली खेलें। बहनें घर के परिसर में ही होली खेल लें तो और भी अच्छा है ताकि दुष्ट प्रवृति के लोगों की कुदृष्टि उन पर न पड़े ।*

*🔸जो लोग कीचड़-गंदगी व पशुओं के मल-मूत्र जैस दूषित पदार्थों से होली खेलते हैं, वे खुद तो अपवित्र होते ही हैं औरों को भी अपवित्र करने का पाप अपने सिर पर चढ़ाते हैं । अत: होली खेलते समय इनका प्रयोग न करें ।*

*🔸होली खेलते समय शरीर पर गहने आदि कीमती आभूषण धारण न करें, अन्यथा भीड़ में उनके चोरी या गुम हो जाने की संभावना बनी रहती है ।*

*लोक कल्याण सेतु, फरवरी 2004*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 मार्च 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा दोपहर 02:55 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - हस्त दोपहर 01:34 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग - ध्रुव रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - शाम 03:49 से 05:21 तक*
*सूर्योदय - 06:38*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:04 से 05:51 तक*
*अभिजित मुहूर्त - दोपहर 12:21 से 01:10 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:08 तक*
*व्रत पर्व विवरण - वसंतोत्सव प्रारम्भ, आम्रकुसुम-प्राशन*
*विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹होली के बाद स्वाथ्य सुरक्षा🔹*

*🔹1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*

*🔹2- इन दिनों में भुने हुए चने - ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है ।*

*🔹3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।*

*🔹अमृततुल्य गोदुग्ध के अनुपम लाभ (भाग-२)🔹*

*🔸(१०) इसमें कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है जो दाँत एवं हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक है । बाल्य और किशोर अवस्था में कैल्शियम की बहुत अधिक आवश्यकता रहती है क्योंकि इस समय हड्डियों का सबसे अधिक विकास होता है । प्रतिदिन दूध का सेवन करना बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है । ३०० मि.ली. दूध में लगभग ३५० मि.ग्रा. कैल्शियम होता है जो तीन साल तक के बच्चों की दैनिक आवश्यकता का आधा है ।*

*🔸(११) दूध में कैंसररोधी तत्त्व पाये जाते हैं जो बड़ी आँत, स्तन व त्वचा का कैंसर होने की सम्भावना को कम करते हैं । सिगरेट और शराब के सेवन से अन्न-नलिका का कैंसर (oesoph- ageal cancer) होने की सम्भावना बढ़ जाती है जबकि दूध के सेवन से यह सम्भावना कम हो जाती है । यह हृदय एवं रक्तवाहिनियों से संबंधित रोगों (cardiovascular disease) से रक्षा करने में सहायक है । रक्तचाप (B.P.) को सामान्य रखने में भी उपयोगी है तथा मधुमेह (diabe- tes) होने की सम्भावना को कम करता है ।*

*🔸(१२) इसमें पाये जानेवाले 'केरोटिन' नामक पीले पदार्थ से आँखों की रोशनी बढ़ती है । रात में दूध का सेवन आँखों के लिए विशेष हितकारी है । ३ से ५ वर्ष के बच्चे की विटामिन 'ए' की दैनिक आवश्यकता की ७५ प्रतिशत आपूर्ति मात्र २५० मि.ली. गोदुग्ध से हो जाती है ।*

*🔸(१३) भिगोये हुए २-३ बादाम २०० मि.ली. दूध के साथ सेवन करने से बच्चों के सूखा रोग (rickets) में लाभ होता है ।*

*🔸(१४) रात में सोने से कुछ घंटे पहले (भोजन एवं दूध में २ घंटे का अंतर रख के) दूध लेने से रक्त के नवनिर्माण में मदद मिलती है । यह विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करता है तथा रोगप्रतिकारक शक्ति (immunity) को बढ़ाने भी सहायक है ।*

*🔸(१५) कच्चे दूध की चेहरे पर मालिश करने से वर्ण में निखार आता है ।*

*🔸(१६) आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार रात में दूध पीने से बच्चों की जठराग्नि एवं शरीर की वृद्धि होती है, क्षयरोगियों का बल बढ़ता है तथा वृद्धों में शुक्र धातु की वृद्धि होती है । रात में दूध पीने से अनेक प्रकार के दोषों (रोगों) का शमन होता है ।*

*🔸जिन्हें कफ की समस्या है उन्हें कफ-शमन हेतु दूध में २-३ काली मिर्च तथा आधा से एक ग्राम सोंठ का चूर्ण मिला के सेवन करना विशेष लाभकारी है ।*

*🔸गाय का दूध सात्त्विक होने से बुद्धि अच्छे विचार तथा अच्छे कर्मों की ओर प्रवृत्त होती है । इससे परिशुद्ध भावना उत्पन्न होती रहती है । इन सभी गुणों के कारण इसे 'धरा का अमृत' कहा जाता है । इसलिए मनुष्यों को नित्य गाय के शुद्ध दूध का सेवन करना चाहिए ।*

*🔹सावधानी : नया बुखार, त्वचा रोग, दस्त, कृमि, गठिया तथा दमा (asthma), खाँसी आदि कफ-संबंधी एवं आमजनित समस्याओं में दूध का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*ऋषिप्रसाद : मार्च 2024*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 27 मार्च 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया शाम 05:06 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - चित्रा शाम 04:16 तक तत्पश्चात स्वाती*
*योग - व्याघात रात्रि 10:54 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - दोपहर 12:45 से 02:17 तक*
*सूर्योदय - 06:37*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:03 से 05:50 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:08 तक*
*व्रत पर्व विवरण - संत तुकारामजी द्वितीया*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹पूर्ण विकास की १६ सीढ़ियाँ🔹*

*🔹ये १६ बातें समझ लें तो आपका पूर्ण विकास चुटकी में होगा ।*

*🔸 (१) आत्मबल : अपना आत्मबल विकसित करने के लिए 'ॐ... ॐ.... ॐ... ॐ... ॐ...' ऐसा जप करें ।*

*🔸 (२) दृढ़ संकल्प : कोई भी निर्णय लें तो पहले तीसरे नेत्र पर (भ्रूमध्य में आज्ञाचक्र पर) ध्यान करें फिर निर्णय लें और एक बार कोई भी छोटे-मोटे काम का संकल्प करें तो उसमें लगे रहें ।*

*🔸 (३) निर्भयता : भय आये तो उसके भी साक्षी बन जायें और उसे झाड़कर फेंक दें । यह सफलता की कुंजी है ।*

*🔸 (४) ज्ञान : आत्मा-परमात्मा और प्रकृति का ज्ञान पा लें । यह शरीर 'क्षेत्र' है और आत्मा 'क्षेत्रज्ञ' है । इस शरीररूपी खेत के द्वारा हम कर्म करते हैं अर्थात् बीज बोते हैं और फिर उसके फल मिलते हैं । तो हम क्षेत्रज्ञ हैं शरीर को और कर्मों को जाननेवाले हैं । प्रकृति परिवर्तित होनेवाली है और हम एकरस है। बचपन परिवर्तित हो गया, हम उसको जाननेवाले वही-के-वही हैं । गरीबी अमीरी चली गयी, सुख-दुःख चला गया लेकिन हम हैं अपने- आप, हर परिस्थिति के बाप। ऐसा दृढ़ विचार करने से, ज्ञान का आश्रय लेने से आप निर्भय और निःशंक होने लगेंगे ।*

*🔸 (५) नित्य योग : नित्य योग अर्थात् आप भगवान में थोड़ा शांत होइये और 'भगवान नित्य हैं, आत्मा नित्य है और शरीर मरने के बाद भी मेरा आत्मा रहता है' इस प्रकार नित्य योग की स्मृति करें ।*

*🔸 (६) ईश्वर-चिंतन : सत्यस्वरूप ईश्वर का चिंतन करें ।*

*🔸 (७) श्रद्धा : सत्शास्त्र, भगवान और गुरु में श्रद्धा यह आपके आत्मविकास का बहुमूल्य खजाना है ।*

*🔸 (८) ईश्वर विश्वास : ईश्वर में विश्वास रखें । जो हुआ, अच्छा हुआ, जो हो रहा है, अच्छा है और जो होगा वह भी अच्छा होगा, भले हमें अभी, इस समय बुरा लगता है । विघ्न-बाधा, मुसीबत और कठिनाइयों आती हैं तो विष की तरह लगती हैं लेकिन भीतर अमृत सैंजोये हुए होती हैं । इसलिए कोई भी परिस्थिति आ जाय तो समझ लेना, 'यह हमारी भलाई के लिए आयी है ।' आँधी-तूफान आया है तो फिर शुद्ध वातावरण भी आयेगा ।*

*🔸 (९) सदाचरण : वचन देकर मुकर जाना, झूठ-कपट, चुगली करना आदि दुराचरण से अपने को बचाना ।*

*🔸 १०) संयम : पति-पत्नी के व्यवहार में, खाने-पीने में संयम रखें । इससे मनोबल, बुद्धिबल, आत्मबल का विकास होगा ।*

*🔸 (११) अहिंसा : वाणी, मन, बुद्धि के द्वारा किसीको चोट न पहुंचायें । शरीर के द्वारा जीव- जंतुओं की हत्या, हिंसा न करें ।*

*🔸 (१२) उचित व्यवहार : अपने से श्रेष्ठ पुरुषों का आदर से संग करें । अपने से छोटों के प्रति उदारता, दया रखें । जो अच्छे कार्य में, दैवी कार्य में लगे हैं उनका अनुमोदन करें और जो निपट निराले हैं उनकी उपेक्षा करें । यह कार्यकुशलता में आपको आगे ले जायेगा ।*

*🔸 (१३) सेवा-परोपकार : आपके जीवन में परोपकार, सेवा का सद्‌गुण होना चाहिए । स्वार्थरहित भलाई के काम प्रयत्नपूर्वक करने चाहिए । इससे आपके आत्मसंतोष, आत्मबल का विकास होता है ।*

*🔸 (१४) तप : अपने जीवन में तपस्या लाइये । कठिनाई सहकर भी भजन, सेवा, धर्म-कर्म आदि में लगना चाहिए ।*

*🔸 (१५) सत्य का पक्ष लेना : कहीं भी कोई बात हो तो आप हमेशा सत्य, न्याय का पक्ष लीजिये । अपनेवाले की तरफ ज्यादा झुकाव और परायेवाले के प्रति क्रूरता करके आप अपनी आत्मशक्ति का गला मत घोटिये । अपनेवाले के प्रति न्याय और दूसरे के प्रति उदारता रखें ।*

*🔸 (१६) प्रेम व मधुर स्वभाव : सबसे प्रेम व मधुर स्वभाव से पेश आइये ।*

*🔸 ये १६ बातें लौकिक उन्नति, आधिदैविक उन्नति और आध्यात्मिक अर्थात् आत्मिक उन्नति आदि सभी उन्नतियों की कुंजियाँ हैं ।*

*ऋषि प्रसाद - जून 2018*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 28 मार्च 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - तृतीया शाम 06:66 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - स्वाती शाम 06:38 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग - हर्षण रात्रि 11:13 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - दोपहर 02:17 से 03:49 तक*
*सूर्योदय - 06:36*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - दक्षिण*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:49 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:08 तक*
*व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी, छत्रपति शिवाजी जयंती (ति.अ.)*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔸संकष्ट चतुर्थी - 28 मार्च🔸*
*(चंद्रोदय : रात्रि 09:24)*

*🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?*

*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*

*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*

*🔸संकष्ट चतुर्थी पूजा विधि🔸*

*🔹गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं ।*

*👉 इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ ।*

*👉 व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ और धुले हुए कपड़े पहन लें । इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है ।*

*👉 स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें । गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए ।*

*👉 सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें ।*

*👉 पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी, धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें ।*

*👉 ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें । ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है ।*

*👉 गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें ।*

*👉 संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं ।*

*👉 गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें ।*

*गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।*
*उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।*

*👉 पूजा के बाद आप फल फ्रूट्स आदि प्रसाद सेवन करें ।*

*👉 शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्ट व्रत कथा का पाठ करें ।*

*👉 पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें । रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्ट चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है ।*

*कार्य सिद्धि के लिए*

*1. ॐ सुमुखाय नम: 2. ॐ एकदंताय नम: 3. ॐ कपिलाय नम: 4. ॐ गजकर्णाय नम: 5. ॐ लंबोदराय नम: 6. ॐ विकटाय नम: 7. ॐ विघ्ननाशाय नम: 8. ॐ विनायकाय नम: 9. ॐ धूम्रकेतवे नम: 10. ॐ गणाध्यक्षाय नम: 11. ॐ भालचंद्राय नम: 12. ॐ गजाननाय नम: ।*

*जो भी साधक श्री गणेश जी को रोज सिंदूर अर्पित कर इन 12 नाम का जाप करता है उसे कार्य सिद्धि प्राप्त होती है । - नारद पुराण*

*🔹गुरुवार विशेष 🔹*

*🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*

*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*

*🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*
*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*
🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
दिनांक - 29 मार्च 2024
दिन - शुक्रवार
विक्रम संवत् - 2080
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत
मास - चैत्र
पक्ष - कृष्ण
तिथि - चतुर्थी रात्रि 08:20 तक तत्पश्चात पंचमी
नक्षत्र - विशाखा रात्रि 08:36 तक तत्पश्चात अनुराधा
योग - वज्र रात्रि 11:12 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल - सुबह 11:12 से दोपहर 12:44 तक
सूर्योदय - 06:35
सूर्यास्त - 06:54
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से 05:48 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण - गुड फ्राइडे
विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🔹सुखमय जीवन की अनमोल कुंजियाँ🔹

🔸आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔸

🔸रविवार, सप्तमी, नवमी, अमावस्या, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण तथा संक्रांति - इन तिथियों को छोड़कर बाकी के दिन आँवले का रस शरीर पर लगाकर स्नान करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है। (स्कंद पुराण, वैष्णव खंड)

🔹क्रोध पर नियंत्रण कैसे पायें ?🔹

🔸क्रोध भस्मासुर है, करा-कराया सब खाक कर देता है । जिन्हें क्रोध पर नियंत्रण पाना हो वे नीचे दिये गये सरल एवं कारगर उपायों में से एक या अधिक उपायों का लाभ अवश्य लें ।

🔸(१) एक कटोरी में जल लेकर उसमें देखते हुए 'ॐ शांति... शांति... शांति... ॐ...' इस प्रकार २१ बार जप करें और वह जल पी लें तो क्रोधी स्वभाव में बदलाहट आयेगी ।

🔸(२) जब क्रोध आये तो उस समय अपना विकृत चेहरा आईने में देखने से भी लज्जावश क्रोध भाग जायेगा ।

🔸(३) सुबह नींद में से उठते ही बिस्तर पर बैठ के ललाट पर तिलक करने की जगह पर अपने सद्‌गुरु या इष्ट का ध्यान करें । बाद में संकल्प करते हुए एवं यह मंत्र बोलते हुए क्रोध की मानसिक रूप से अग्नि में आहुति डालें: ॐ क्रोधं जुहोमि स्वाहा ।

🔸(४) एक नग आँवले का मुरब्बा रोज सुबह खायें व शाम को एक चम्मच गुलकंद खाकर दूध पी लें, इससे विशेषकर पित्तप्रकोपजनित क्रोध पर नियंत्रण पाने में सहायता मिलेगी । (शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन न करें ।)

🔹कब्जनाशक प्रयोग🔹

👉🏻 कब्ज अनेक रोगों का गढ है । कब्ज दूर करने के लिए निम्न उपाय करें ।

👉🏻 रात को हरड़ पानी में भिगोकर रखें । सुबह थोड़ी सी हरड़ उसी पानी में रगड़ें और थोड़ा सा नमक मिलाकर पियें ।

👉🏻 सूर्योदय से पहले खाली पेट रात का रखा हुआ पानी आवश्यकतानुसार पियें (गुनगुना हो तो उत्तम) ।

👉🏻 मेथी के पत्तों की सब्जी खायें ।

👉🏻 धनिया, पुदीना, काला नमक व काली मिर्च की चटनी भोजन के साथ लें ।

👉🏻 श्वास बाहर निकालकर गुदाद्वार का संकोचन विस्तरण (अश्विनी मुद्रा) करने को थलबस्ती कहते हैं। यह प्रयोग रोज तीन-चार बार करने से भी कब्ज दूर होता है और वीर्यहानि, स्वप्नदोष एवं प्रदर रोग से रक्षा होती है । व्यक्तित्व विकसित होता है ।

📖 लोक कल्याण सेतु - फरवरी 2011
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 30 मार्च 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - पंचमी रात्रि 09:13 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 10:03 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग - सिद्धि रात्रि 10:47 तक तत्पश्चात व्यतीपात*
*राहु काल - सुबह 09:39 से 11:12 तक*
*सूर्योदय - 06:34*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पूर्व*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:47 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:07 तक*
*व्रत पर्व विवरण - रंग पंचमी, व्यतीपात योग*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹व्यतिपात योग 🔹*

*🔸समय अवधि : 30 मार्च रात्रि 10:47 से 31 मार्च रात्रि 09:53 तक ।*

*🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*

*🔸रंग पंचमी : 30 मार्च 2024🔸*

*🔸भारतीय पंचांग अनुसार रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है । इसी के साथ श्री विष्णु लक्ष्मी जी का पूजन शास्त्रों में निहित है । भगवान पूजा करने से साधक की सभी इच्छाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं । इस दिन किया पूजन सुखी जीवन के साथ दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति को प्रदान करता है । इस शुभ दिवस पर भक्त भक्ति भाव से भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं । पूजा पाठ करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं ।*

*🔹सर्वसुलभ, पोषक व औषधीय गुणों से भरपूर सहजन🔹*
*🔸स्वास्थ्य-लाभकारी प्रयोग🔸*

*🔸(1) शारीरिक पुष्टि हेतु : सहजन के पत्तों का आधा से 1 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन 2 बार सेवन करने से कुपोषण के शिकार हुए बच्चों की शारीरिक पुष्टि व वृद्धि कम समय में हो सकती है । बड़े व्यक्ति 2 से 5 ग्राम ले सकते हैं ।*

*🔸(2) प्रसूताओं के लिए : सहजन के आधी कटोरी हरे पत्ते 1 चम्मच घी में सेंककर कुछ दिन तक प्रसूताओं को खिलाने से उनमें दूध की कमी नहीं होती और बच्चे को जन्म देने के बाद की कमजोरियों, जैसे थकान आदि का भी निवारण होता है ।*

*🔸(3) रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने हेतु : सहजन की फली और पत्तों का सूप बनाकर या इन्हें दाल के साथ सेवन करने से रोगप्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है तथा ऋतु-परिवर्तनजन्य बीमारियों से सुरक्षा होती है ।*

*🔸(4) पेट की समस्याओं में : पेट की समस्याओं के लिए सहजन कारगर औषधि है । इसके कोमल पत्तों का साग खाने से शौच साफ होता है । इसकी फलियों की सब्जी खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं ।*

*🔸(5) पुरुषत्व की वृद्धि हेतु : इसके 8-10 फूलों को 250 मि.ली. दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पुरुषत्व की वृद्धि होती है ।*

*🔸(6) गायों को नियमित आहार के साथ सहजन के सूखे पत्ते, फली आदि खिलाने से उनके दुग्ध-उत्पादन में काफी बढ़ोतरी होती है ।*

*🔹ध्यान दें : सब्जी के लिए ताजी एवं गूदेवाली फली का प्रयोग करें । सहजन दाहकारक एवं पित्त-प्रकोपक है । पित्त-प्रकोप हो तो इसके सेवनकाल में दूध, गुलकंद आदि पित्तशामक पदार्थों का उपयोग करें । गुर्दे (kidneys) की खराबी में इसे न लें ।*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*
*दिनांक - 31 मार्च 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - षष्ठी रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 10:57 तक तत्पश्चात मूल*
*योग - व्यतिपात रात्रि 09.53 तक, तत्पश्चात वरियान*
*राहु काल - शाम 05:20 से शाम 06:52 तक*
*सूर्योदय - 06:33*
*सूर्यास्त - 06:52*
*दिशा शूल - पश्चिम*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:00 से 05:46 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:19 अप्रैल 01 से 01:06 अप्रैल 01 तक*
*व्रत पर्व विवरण - संत एकनाथजी षष्ठी*
*विशेष - षष्ठी को नीम-भक्षण (पत्ती, फल खाने या दातुन मुँह में डालने) से नीच योनियों की प्राप्ति होती है ।*

*🔷गर्मी में दस्त 🔷*
*👉🏻 1 कटोरी नारियल पानी में आधा चम्मच धनिया-जीरा, 1 चम्मच मिश्री व आधा चम्मच जायफल चूर्ण डालकर दिन में 3 बार पीने से गर्मी के दस्त बंद हो जाते है ।*

*🔷ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार*
*हिंदू धर्म में दैनिक जीवन से जुड़ी भी अनेक मान्यताएं और परंपराएं हैं। ऐसी ही एक मान्यता है नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से जुड़ी। माना जाता है कि सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं जब नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाना हमारे धर्म ग्रंथों में शुभ नहीं माना गया है, जबकि इसके बिपरीत कुछ दिनों को इन कामों के लिए शुभ माना गया है। आइए जानते हैं क्या कहते हैं शास्त्र...*
*🔷 ज्योतिष ग्रंथ मुर्हूत चिंतामणि के अनुसार जानिए किस दिन नाखून, दाढ़ी व बाल कटवाने से होता है क्या असर..*
*🔹1. सोमवार🔹*
*सोम का संबंध चंद्रमा से है इसलिए सोमवार को बाल या नाखून काटना मानसिक स्वास्थ्य व संतान के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है।*
*🔹 2. मंगलवार🔹*
*मंगलवार को बाल कटवाना व दाढ़ी बनाना उम्र कम करने वाला माना गया है।*
🔹 3. बुधवार🔹
बुधवार के दिन नाखून और बाल कटवाने से घर में बरकत रहती है व लक्ष्मी का आगमन होता है।*
*🔹4. गुरुवार🔹*
*गुरुवार को भगवान विष्णु का वार माना गया है। इस दिन बाल कटवाने से लक्ष्मी का नुकसान और मान-सम्मान की हानि होती है।*
*🔹5. शुक्रवार🔹*
*शुक्र ग्रह को ग्लैमर का प्रतीक माना गया है। इस दिन बाल और नाखून कटवाना शुभ होता है। इससे लाभ, धन और यश मिलता है।*
*🔹6. शनिवार🔹*
*शनिवार का दिन बाल कटवाने के लिए अशुभ होता है यह जल्दी मृत्यु का कारण माना जाता है।*
*🔹7. रविवार🔹*
*रविवार को बाल कटवाना अच्छा नहीं माना जाता है। महाभारत के अनुशासन पर्व में बताया गया है कि ये सूर्य का वार है इससे धन, बुद्धि और धर्म का नाश होता है।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 1अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - सप्तमी रात्रि 09:09 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - मूल रात्रि 11:11 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढ़ा*
*योग - वरियान रात्रि 8:28 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - सुबह 08:06 से 09:38 तक*
*सूर्योदय - 06:33*
*सूर्यास्त - 06:51*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:46 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दिन 12:18 से 01:07 तक*
*व्रत पर्व विवरण - मारवाड़ी सप्तमी*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹ग्रहबाधा दूर करने का उपाय🔹*

👉🏻 *शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलायें । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📒 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर 2019*

*🔸तुतलापन मिटाने के लिए🔸*

*🔹२-३ बादाम के गिरी मिक्सी में अच्छी तरह घोट के और मक्खन व मिश्री मिलाकर बराबर चबा चबा कर खाएं l १ हफ्ते में तोतलेपन में आराम होता है l -🌹 पूज्य बापूजी - Nasik 14.02.2010*

*🔸बुद्धि बढाने के ढेर सारे उपाय🔸*

*👉🏻 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*👉🏻 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*👉🏻 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*👉🏻 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*👉🏻 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*👉🏻 ६] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढना ही है ।*

*👉🏻 ७] स्मृतिशक्ति बढानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*📒 ऋषि प्रसाद – अक्टूबर २०२०*

*🔹गृहके समीपस्थ वृक्ष 🔹*

*👉🏻 ईशान में आँवला शुभदायक है ।*
*👉🏻 ईशान - पूर्वमें कटहल एवं आम शुभदायक हैं ।*

*👉🏻 (३) घरके पास काँटेवाले, दूधवाले तथा फलवाले वृक्ष स्त्री और सन्तान की हानि करनेवाले हैं । यदि इन्हें काटा न जा सके तो इनके पास शुभ वृक्ष लगा दें ।*

*👉🏻 काँटेवाले वृक्ष शत्रु से भय देनेवाले, दूधवाले वृक्ष धनका नाश करनेवाले और फलवाले वृक्ष सन्तानका नाश करनेवाले हैं । इनकी लकड़ी भी घरमें नहीं लगानी चाहिये-*

*आसन्नाः कण्टकिनो रिपुभयदाः क्षीरिणोऽर्थनाशाय ।*
*फलिनः प्रजाक्षयकरा दारूण्यपि वर्जयेदेषाम् ॥*
*(बृहत्संहिता ५३। ८६)*

*(४) बदरी कदली चैव दाडिमी बीजपूरिका।*

*प्ररोहन्ति गृहे यत्र तद्गृहं न प्ररोहति ॥*

*👉🏻 (समरांगणसूत्रधार ३८ । १३१) 'बेर, केला, अनार तथा नींबू जिस घरमें उगते हैं, उस घर की वृद्धि नहीं होती । '*

*👉🏻 अश्वत्थं च कदम्बं च कदलीबीजपूरकम् । गृहे यस्य प्ररोहन्ति स गृही न प्ररोहति ॥*

*👉🏻 (बृहद्दैवज्ञ० ८७ ९) 'पीपल, कदम्ब, केला, बीजू नींबू ये जिस घरमें होते हैं, उसमें रहनेवाले की वंशवृद्धि नहीं होती ।'*

*👉🏻 (५) घरके भीतर लगायी हुई तुलसी मनुष्योंके लिये कल्याणकारिणी, धन-पुत्र प्रदान करनेवाली, पुण्यदायिनी तथा हरिभक्ति देनेवाली होती है । प्रातःकाल तुलसीका दर्शन करनेसे सुवर्ण दानका फल प्राप्त होता है ।*

*(ब्रह्मवैवर्तपुराण, कृष्ण० १०३ । ६२-६३ )*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 2 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अष्टमी रात्रि 08:08 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 10:49 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
*योग - परिघ शाम 6:36 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - दोपहर 03:47 से शाम 05:20 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:45 तक*
*अभिजीत मुहूर्त - दिन 12:17 से 01:07 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 03 से रात्रि 01.05 अप्रैल 03 तक*
*व्रत पर्व विवरण - शीतला अष्टमी*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है ।*
*🔹काम-धंधे में बरकत के लिए🔹*
* नौकरी या काम-धंधे में बरकत नहीं आती हो तो गाय की धूलि लेकर उसको ललाट पर लगाकर काम-धंधे पर जाएँ l धीरे-धीरे बरकत होने लगेगी और विघ्न हटने लगेंगे l*
*🙏🏻 पूज्य बापूजी*

*🔹पेट सम्बन्धी तकलीफों में🔹*

*🔹नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस,उतना ही सौंफ भी ले l फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो l ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी l कब्ज़ की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी l*

*🙏🏻पज्य बापूजी - Baroda – 31st Oct. 2009*

*🔹पढ़ाई में आशातीत लाभ हेतु🔹*

*👉🏻 विद्यार्थी अध्ययन-कक्ष में अपने इष्टदेव या गुरुदेव का श्रीविग्रह अथवा स्वस्तिक या ॐकार का चित्र रखें तथा नियमित अध्ययन से पूर्व उसे १०-१५ मिनट अपनी आँखों की सीध में रखकर पलकें गिराये बिना एकटक देखें अर्थात त्राटक करें | इससे पढ़ाई में आशातीत लाभ होता हैं |*
* 📖ऋषिप्रसाद – मार्च २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 3 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - नवमी शाम 06:29 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा रात्रि 09:47 तक तत्पश्चात श्रवण*
*योग - शिव शाम 04:10 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - दोपहर 12:42 से दोपहर 02:15 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:44 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 04 से रात्रि 01.05 अप्रैल 04 तक*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।*

*🔸बुद्धि बढ़ाने के ढेर सारे उपाय🔸*

*👉🏻 १] दिव्य प्रेरणा-प्रकाश पुस्तक में (पृष्ठ २ पर ) एक मंत्र लिखा है , उसको पढ़कर दूध में देखोगे और वह दूध पियोगे तो बुद्धि बढ़ेगी, बल बढ़ेगा ।*

*👉🏻 २] मंत्रजप और अनुष्ठान से बुद्धि विकसित होती है ।*

*👉🏻 ३] भगवच्चिंतन करके ॐकार का गुंजन करके शांत होओगे तो बुद्धि बढ़ेगी ।*

*👉🏻 ४] श्वासोच्छवास में भगवान् सूर्यनारायण का ध्यान करने से भी फायदा होगा ।*

*👉🏻 ५] श्रद्धा, भक्ति और गुरुजनों के सत्संग से भी बुद्धि उन्नत होती है ।*

*👉🏻 ६] भगवद-ध्यान से तो बुद्धि को बढ़ना ही है ।*

*👉🏻 ७] स्मृतिशक्ति बढ़ानी है तो कानों में अँगूठे के पासवाली पहली उँगलियाँ डालकर लम्बा श्वास लो फिर होंठ बंद रख के कंठ से ‘ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ....’ ऐसा उच्चारण करो । इस प्रकार १० बार करो । इस भ्रामरी प्राणायाम से स्मृति बढ़ेगी, बुद्धू विद्यार्थी भी अच्छे अंक लायेंगे ।*
*📒 ऋषि प्रसाद – अक्टूबर २०२०*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 4 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - दशमी शाम 04:14 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - श्रवण रात्रि 08:12 तक तत्पश्चात घनिष्ठा*
*योग - सिद्ध दोपहर 01:16 तक तत्पश्चात साध्य*
*राहु काल - दोपहर 02:14 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:31*
*सूर्यास्त - 06:53*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:43 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 05 से रात्रि 01.04 अप्रैल 05 तक*
*व्रत पर्व विवरण- साँई श्री लीलाशाहजी महाराज प्राकट्य दिवस*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है।*

*🌹 पापमोचनी एकादशी 🌹*

*🔸एकादशी ४ अप्रैल शाम 04:14 से 5 अप्रैल दोपहर 01:28 तक है ।*
*🔸विशेष : व्रत उपवास 5 अप्रैल शुक्रवार को रखा जायेगा ।*

*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔸धर्म के 10 लक्षण 🔸*

*1. धैर्य -मनुष्य का जो पहला धर्म है, वह अपने धैर्य को कायम रखना है । किसी भी हालत में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए ।*

*2. क्षमा : धर्म का दूसरा लक्षण है क्षमा । क्षमा समर्थ पुरुष के भीतर रहती है । किसीने गलती की और हम सोचने लगें कि इसका क्या करें ? तो यह हमारी मजबूरी है । दण्ड देने का सामथ्र्य अपने अन्दर रहने पर भी हम चाहें तो उसको क्षमा कर सकते हैं ।*

*3. दम : धर्म का तीसरा लक्षण है दम, अर्थ यही कि उत्तेजना का प्रसंग आने पर भी उत्तेजित नहीं होना । हमें उत्तेजित करनेवाले लोग तो बहुत मिलते हैं, लेकिन हमारे साथ वास्तविक सहृदयता प्रकट करनेवाले बहुत कम हैं ।*

*4. अस्तेय : चोरी न करना ।*

*5. शौच अर्थात् पवित्रता : हम जब प्रातःकाल उठते हैं । उस समय यदि नित्यकर्म आवश्यक हो, लघुशंका-शौच जाना आवश्यक हो तब तो जायें और न जाना हो तो थोड़ी देर बैठकर उस ब्राह्ममुहूर्त का सदुपयोग करें । सूर्योदय से पहले उठें और उठकर पवित्र चिन्तन करें ।*

*6. इन्द्रियनिग्रह : धर्म की छठी भूमिका है इन्द्रियनिग्रह, इन्द्रियों में पर संयम चाहिए । जैसे घोड़े की बागडोर अपने हाथ में रखते हैं, वैसे ही इन्द्रियों की बागडोर हमारे हाथ में होनी चाहिए ।*

*7. बुद्धि : धर्म का सातवाँ लक्षण है बुद्धि । एक मनुष्य के लिए यह आवश्यक है कि वह अपनी बुद्धि को छोड़े नहीं ।*

*8. विद्या : धर्म का आठवाँ लक्षण है विद्या । बुद्धि ऐसी चीज है जिसको हम लोगों सीख लेते हैं किंतु विद्या बुद्धि से अलग है । जो बात हम अपनी बुद्धि से नहीं जान पाते, उसका ज्ञान देने के लिए विद्या होती है ।*

*9. सत्य : धर्म का नौवाँ लक्षण है सत्य । सत्य बोलने में हमारा एक शाश्वत संबंध निहित रहता है ।*

*10. अक्रोध : धर्म का १०वाँ लक्षण है अक्रोध अर्थात् क्रोध न करना । हम हमेशा क्रोध में ही रहेंगे यह नियम कोई नहीं ले सकता परंतु अहिंसा का नियम ले तो वह शाश्वत हो सकता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 5 अप्रैल 2024*
*⛅️दिन - शुक्रवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2080*
*⛅️अयन - उत्तरायण*
*⛅️ऋतु - वसंत*
*⛅️मास - चैत्र*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - एकादशी दोपहर 01:28 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅️नक्षत्र - घनिष्ठा शाम 06:07 तक तत्पश्चात शतभिषा*
*⛅️योग - साध्य सुबह 09:56 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅️राहु काल - सुबह 11:18 से दोपहर 12:41 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:29*
*⛅️सूर्यास्त - 06:53*
*⛅️दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:43 तक*
*⛅️ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.18 अप्रैल 06 से रात्रि 01.04 अप्रैल 06 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण- पापमोचनी एकादशी*
*⛅️विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है।*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*⛅️दिनांक - 6 अप्रैल 2024*
*⛅️दिन - शनिवार*
*⛅️विक्रम संवत् - 2080*
*⛅️अयन - उत्तरायण*
*⛅️ऋतु - वसंत*
*⛅️मास - चैत्र*
*⛅️पक्ष - कृष्ण*
*⛅️तिथि - द्वादशी प्रातः 10:19 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*⛅️नक्षत्र - शतभिषा दोपहर 03:39 तक तत्पश्चात पूर्व भाद्रपद*
*⛅️योग - शुक्ल रात्रि 02:20 अप्रैल 07 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅️राहु काल - सुबह 9:34 से 11:18 तक*
*⛅️सूर्योदय - 06:28*
*⛅️सूर्यास्त - 06:54*
*⛅️दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅️ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:42 तक*
*⛅️ अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:06 तक*
*⛅️ निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 07 से रात्रि 01.04 अप्रैल 07 तक*
*⛅️व्रत पर्व विवरण- शनि प्रदोष व्रत*
*⛅️विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।*

🌹 *महावारुणी योग* 🌹
🙏🏻 *वारुणी योग चैत्र माह में बनने वाला एक पुण्यप्रद महायोग है।*
🙏🏻 *भविष्यपुराण के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी यदि शनिवार अथवा शतभिषा नक्षत्र से युक्त हो तो वह महावारुणी पर्व कहलाता है। इसमें किया गया स्नान, दान एवं श्राद्ध अक्षय होता है।*
🌹 *चैत्रे मासि सिताष्टम्यां शनौ शतभिषा यदि । गंगाया यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।।*
*सेयं महावारुणीति ख्याता कृष्णत्रयोदशी । अस्यां स्नानं च दानं च श्राद्धं वाक्षयमुच्यते ।।*
🌹 *नारदपुराण*
*वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी ।।*
*गंगायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा ।। ४०-२० ।।*
🌹 *स्कन्दपुराण*
*"वारुणेन समायुक्ता मधौ कृष्णा त्रयोदशी। गङ्गायां यदि लभ्येत सूर्यग्रहशतैः समा॥*
*शनिवारसमायुक्ता सा महावारुणी स्मृता। गङ्गायां यदि लभ्येत कोटिसूर्यग्रहैः समा॥"*
🌹 *देवीभागवत पुराण*
*"वारुणं कालिकाख्यञ्च शाम्बं नन्दिकृतं शुभम्।*
*सौरं पाराशरप्रोक्तमादित्यं चातिविस्तरम्॥"*
🌹 *त्रिस्थलीसेतु*
*चैत्रासिते वारुणऋक्षयुक्ता त्रयोदशी सूर्यसुतस्य वारे।*
*योगे शुभे सा महती महत्या गंगाजलेर्कग्रहकोटितुल्या।।*
⛅️ *विशेष ~ 06 अप्रैल 2024 शनिवार को (सुबह 10:19 से त्रयोदशी तिथि शुरु हो रही है एवं दोपहर 03:38 तक शतभिष नक्षत्र है) महावारुणी योग है।*

🌹 *शनि प्रदोष* 🌹

⛅️ *शनिवार को प्रदोषकाल में त्रयोदशी तिथि हो तो उसे शनिप्रदोष कहा जाता है।*
⛅️ *06 अप्रैल 2024 को शनि प्रदोष है।*
⛅️ *शनिप्रदोष व्रत की महिमा के बारे में स्कन्दपुराण के ब्राह्मखंड - ब्रह्ममोत्तरखंड में हनुमान जी कहते हैं कि*
🌹 *एष गोपसुतो दिष्ट्या प्रदोषे मंदवा सरे । अमंत्रेणापि संपूज्य शिवं शिवमवाप्तवान् ।।*
*मंदवारे प्रदोषोऽयं दुर्लभः सर्वदेहिनाम् । तत्रापि दुर्लभतरः कृष्णपक्षे समागते ।।*
🌹 *एक गोप बालक ने शनिवार को प्रदोष के दिन बिना मंत्र के भी शिव पूजन कर उन्हें पा लिया। शनिवार को प्रदोष व्रत सभी देहधारियों के लिए दुर्लभ है। कृष्णपक्ष आने पर तो यह और भी दुर्लभ है।*
⛅️ *संतान प्राप्ति के लिए शनिप्रदोष व्रत एक अचूक उपाय है।*
⛅️ *विभिन्न मतों से शनिप्रदोष को महाप्रदोष तथा दीपप्रदोष भी कहा जाता है। कुछ विद्वान केवल कृष्णपक्ष के शनिप्रदोष को ही महाप्रदोष मानते हैं।*
⛅️ *ऐसी मान्यता है की शनिप्रदोष का दिन शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 4 शनिप्रदोष करता है तो उसके जन्म जन्मांतर के पाप धूल जाते हैं साथ ही वह पितृऋण से भी मुक्त हो जाता है।*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 *
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 7 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - त्रयोदशी प्रातः 06:53 तक तत्पश्चात चतुर्दशी 03.21 अप्रैल 08 तक*
*नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 12:58 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*योग ब्रह्म रात्रि 10:17 तक तत्पश्चात इंद्र*
*राहु काल - शाम 05:21 से 06:54 तक*
*सूर्योदय - 06:27*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:41 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:16 से दोपहर 01:05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 08 से रात्रि 01.03 अप्रैल 08 तक*
*व्रत पर्व विवरण- मासिक शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धियोग*
*विशेष - चतुर्दशी और अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*चतुर्दशी, रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🌹मासिक शिवरात्रि : 7 अप्रैल 24*🌹

*🔹 कर्ज मुक्ति हेतु 🔹*

*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*

🌹1) *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
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*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 8 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - अमावस्या रात्रि 11.50 तक, तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 10.12 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग इंद्र शाम 06:14 तक तत्पश्चात वैधृति*
*राहु काल - सुबह 08:00 से 09:33 तक*
*सूर्योदय - 06:26*
*सूर्यास्त - 06:54*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:40 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:15 से दोपहर 01:05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.17 अप्रैल 09 से रात्रि 01.03 अप्रैल 09 तक*
*व्रत पर्व विवरण- सोमवती दर्श अमावस्या*
*विशेष - अमावस्या के दिन फूल, पत्ती, टहनी आदि तोड़ना व स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है ।*

*🌹 सोमवती दर्श अमावस्या : 8 अप्रैल 2024🌹*

*🌹1. जिनको पैसो की कमजोरी है वह तुलसी माता की 108 प्रदिक्षणा करें । और श्री हरि..., श्री हरि..., श्री हरि..., मंत्र जप करें । 'श्री' माना सम्पदा, 'हरि' माना भगवान की दया पाना । तो गरीबी चली जायेगी । - पूज्य बापूजी*

*🌹2. इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है ।*

*🌹3. इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है । 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है । प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं । बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं । ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है ।*

*🌹4. सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है ।*

*🌹5. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*

*🌹6. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*

*🌹7. अमावस्या के दिन खेती का काम न करें, न मजदूर से करवाएं ।*

*🌹8. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*

*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*
*🌹- पूज्य बापूजी🌹*

*🔹आरोग्यप्रदायक - सूर्य मन्त्र🔹*

*ॐ नमोऽस्तु दिवाकराय अग्नि तत्वप्रवर्धकाय शमय शमय शोषय शोषय अग्नितत्वं समतां कुरु कुरु ॐ ।*


*🔸गर्मी से उत्पन्न शारीरिक रोग, बुद्धि की विकलता ( उन्माद ,पागलपन ) अथवा दुर्बलता, दृष्टि-रोग, अग्नि- तत्व की बिषमता, शरीर में जलन आदि हो तो इनके निवारण के लिए सूर्य मन्त्र हैं । किसी भी अमावस्या को 40 बार जप करने से यह मन्त्र सिद्ध हो जाता हैं । - पूज्य बापूजी*
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2024/05/06 13:46:44
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