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Channel: Hindu Panchang Daily हिन्दू पंचांग 🚩
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*🌞~ आज का हिंदू पंचांग🌞*

*दिनांक - 9 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा रात्रि 08.30 तक, तत्पश्चात द्वितीया*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण- चैत्री नूतन वर्ष विक्रम संवत 2081 प्रारम्भ, गुड़ी पड़वा (पूरा दिन शुभ मुहूर्त), चैत्री नवरात्र प्रारम्भ, हेडगेवारजी जयंती*
*विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।*

*🔹चैत्री नूतन वर्ष : 9 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ*

*शक्ति के उपासकों के लिये माँ भगवती विश्रांति ध्यान..*


*🌹 नवरात्रि का व्रत धन धान्य प्रदान करनेवाला, आयु और आरोग्य वर्धक हैं । शत्रुओं का दमन और बल की वृद्धि करनेवाला हैं । नवरात्री में सारस्वत्य मंत्र या इष्ट मंत्र का अनुष्ठान करने से और रात्रि 12:00 बजे तक का जागरण और जप,कीर्तन, ध्यान से अद्भुत लाभ होता हैं ।*
*इस दिन घर में नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों का तोरण बाँधें, जिससे वहाँ से लोग गुजरें तो वर्षभर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नीम की पत्तियाँ, मिश्री, काली मिर्च व अजवायन प्रसादरूप में लें ।।*
*-🌹पूज्य बापूजी*

*🔹चैत्र नवरात्रि (09 से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*Navratri 2024 Special| बीमारी, गरीबी, संतान हीनता मिटाने हेतु जरूर करें नवरात्रि व्रत...*

*🔸प्रतिपदा तिथि (नवरात्र के पहले दिन) पर माता को घी का भोग लगाएं । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा शरीर निरोगी होता है ।*

*🌹 नवरात्रि का महत्व 🌹*

*🌹 देवी भागवत के तीसरे स्कन्द में नवरात्रि का महत्त्व वर्णन किया है । मनोवांछित सिद्धियाँ प्राप्त करने के लिए देवी की महिमा सुनायी है, नवरात्रि के 9 दिन उपवास करने के शारीरिक लाभ बताये हैं ।*

*👉 शरीर में आरोग्य के कण बढ़ते हैं ।*

*👉 जो उपवास नहीं करता तो रोगों का शिकार हो जाता है, जो नवरात्रि के उपवास करता है, तो भगवान की आराधना होती है, पुण्य तो बढ़ता ही है, लेकिन शरीर का स्वास्थ्य भी वर्ष भर अच्छा रहता है ।*

*👉 प्रसन्नता बढ़ती है । द्रव्य की वृद्धि होती है । लंघन और विश्रांति से रोगी के शरीर से रोग के कण खत्म होते हैं ।*

*🌹 नौ दिन नहीं तो कम से कम 7 दिन / 6 दिन /5 दिन , या आख़िरी के 3 दिन तो जरुर उपवास रख लेना चाहिए ।*

*🌹3. नवरात्री में भगवती रुप में कन्या का पूजन हो (पूजन करने के लिए कन्या कैसी हो इसका वर्णन बापूजी ने किया) और प्रेरणा देनेवाली ऐसी कन्या को भगवती समझ कर पूजन करने से दुःख मिटता है, दरिद्रता मिटती है ।*

*🌹 नवरात्रि के पहले दिन स्थापना, देव वृत्ति की कुंवारी कन्या का पूजन हो ।*

*🌹 नवरात्रि के दूसरे दिन 3 वर्ष की कन्या का पूजन हो, जिससे धन आएगा ,कामना की पूर्ति के लिए ।*

*🌹 नवरात्रि के तीसरे दिन 4 वर्ष की कन्या का पूजन करें, भोजन करायें तो कल्याण होगा, विद्यामिलेगी, विजय प्राप्त होगा, राज्य मिलता है ।*

*🌹 नवरात्रि के चौथे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करें और भोजन करायें । रोग नाश होते हैं ।*

*या देवी सर्व भूतेषु आरोग्य रुपेण संस्थिता ।*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमो नमः ।।*

*👉 जप करें; पूरा साल आरोग्य रहेगा ।*

*🌹 नवरात्रि के पांचवे दिन 6 वर्ष की कन्या काली का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो शत्रुओं का दमन होता है ।*

*🌹 नवरात्रि के छठे दिन 7 वर्ष की कन्या का चंडी का रुप मानकर पूजन करके भोजन करायें तो ऐश्वर्य और धन सम्पत्ति की प्राप्ति होती है ।*

*🌹 नवरात्रि के सातवे दिन 8 वर्ष की कन्या का शाम्भवी रुप में पूजन कर के भोजन करायें तो किसी महत्त्व पूर्ण कार्य करने के लिए, शत्रु पे धावा बोलने के लिए सफलता मिलेगी ।*

*🌹 नवरात्रि की अष्टमी को दुर्गा पूजा करनी चाहिए । सभी संकल्प सिद्ध होते हैं । शत्रुओं का संहार होता है ।*

*🌹 नवरात्रि के नवमी को 9 से 17 साल की कन्या का पूजन भोजन कराने से सर्व मंगल होगा, संकल्प सिद्ध होंगे, सामर्थ्यवान बनेंगे, इसलोक के साथ परलोक को भी प्राप्त कर लेंगे, पाप दूर होते हैं, बुद्धि में औदार्य आता है, नारकीय जीवन छुट जाता है, हर काम में, हर दिशा में सफलता मिलती है । नवरात्रि में पति पत्नी का व्यवहार नहीं, संयम से रहें ।*

*🔹चैत्री नूतन वर्ष ( गुडी पड़वा ): 09 अप्रैल 2024 - वि. सं 2081 प्रारम्भ*

*🔸चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा या गुडी पड़वा वर्ष का आरम्भ दिवस माना जाता है ।*

*🔸इस दिन मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी ने बालि के अत्याचार से लोगों को मुक्त किया था । उसकी खुशी में लोगों ने घर-घर गुड़ी (ध्वजा) खड़ी कर उत्सव मनाया इसलिए यह दिन ‘गुड़ी पड़वा’ नाम से प्रचलित हुआ ।*

*🔸शालिवाहन ने शत्रुओं पर विजय पायी, जिससे इस दिन से शालिवाहन शक प्रारम्भ हुआ ।*
*🔸इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों पर विजय पायी और विक्रम संवत्सर प्रारम्भ हुआ ।*

*🔸आध्यात्मिक ढंग से देखें तो यह सतयुग का प्रारम्भिक दिवस है । ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का आरम्भ किया उस समय इस तिथि को ‘प्रवरा’ (सर्वोत्तम) तिथि सूचित किया था ।*

*🔸वर्ष के साढ़े तीन शुभ मुहूर्तों में से एक है गुडी पड़वा का दिन ! यह बिना मुहूर्त के मुहूर्त है अर्थात् इस पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहता है, पंचांग में शुभ मुहूर्त नहीं देखना पड़ता । इस दिन जितना भी भजन, ध्यान, जप, मौन, सेवा की जाए, उसका अनेक गुना फल मिलता है ।*

*🔸नये साल के प्रथम दिन से ही चैत्री नवरात्र का उपवास चालू हो जाता है । 9 दिन का उपवास करके माँ शक्ति की उपासना की जाती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति के साथ-साथ मानसिक प्रसन्नता व शारीरिक स्वास्थ्य-लाभ भी सहज में ही मिल जाता है ।*

*🔸चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वर्ष का पहला दिन होने से इसका विशेष महत्व है । वर्षारम्भ की यह मंगलदायिनी तिथि समूचे वर्ष के सुख-दुःख का प्रतीक मानी जाती है ।*

*🔹भारतीय चैत्री नूतन वर्ष 9 अप्रैल को कैसे मनायें ?*

*👉🏻 सुबह सूर्योदय पहले स्नान करें । तिलक करें ।*

*👉🏻 सूर्योदय के समय शंखध्वनि करें । सूर्यनारायण को अर्घ दें । भगवा ध्वज फहरायें ।*

*👉🏻 अशोक - आम- नीम- पीपल के पत्ते का तोरण बांधे । नीम - काली मिर्च - मिश्रीयुक्त चटनी खायें ।*

*👉🏻 भजन-संकीर्तन करें । एक दूसरे को हार्दिक बधाई दें ।*
*🌞~आज का हिंदू पंचांग~🌞*
*दिनांक - 10 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वितीया शाम 05.32 तक, तत्पश्चात तृतीया*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*व्रत पर्व विवरण- चेटीचंड, श्री झूलेलाल जी जयंती।*
*विशेष - द्वितीय को बृहति (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।*

*🔹चैत्र नवरात्रि (9अप्रैल से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी ब्रह्म शक्ति यानी तप की शक्ति का प्रतीक हैं । इनकी आराधना से भक्त की तप करने की शक्ति बढ़ती है । साथ ही, सभी मनोवांछित कार्य पूर्ण होते हैं ।*

*🌹 नवरात्रि की द्वितीया तिथि यानी दूसरे दिन माता दुर्गा को शक्कर का भोग लगाएं । इससे उम्र लंबी होती है ।*

*🔹लक्षमी प्राप्ति साधना🔹*

*🌹 श्रीमद् देवीभागवत में वर्णित नवरात्रि में जप से श्रेष्ठ लक्ष्मीप्राप्ति का दुर्लभ मंत्र ।*

*🌹 नवरात्रि में मंत्र जप से श्रेष्ठ लक्ष्मी - प्राप्ति होती है । इस मंत्र से लक्ष्मी जी महालक्ष्मी होकर भोग और मोक्ष देनेवाली बनती है ।*

*मंत्र - "ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा"*

*🌹 सप्तमी, अष्टमी, नवमी ये 3 दिन, व्यास जी ने कहा कि ये 3 दिन का जप, पूजन, व्रत करे तो नवरात्रि का फल प्राप्त होगा । ब्रम्हचर्य का पालन, दिया जलाकर प्राणायाम आदि करके माता की प्रसन्नता, शक्ति की उपासना का ये मंत्र है । ॐ बीज मंत्र है, बड़ा शक्तिशाली है । श्रीं भी बीज मंत्र है । ह्रीं भी बीज मंत्र है । क्लिं भी बीज मंत्र है । ऐं भी बीज मंत्र है । इसमें 5 बीज मंत्र है ।*

*🌹 इन बीज मंत्रों में दैविक शक्तियों के पुंज के पुंज छिपे है और आपके अन्दर जो केंद्र है उनको ये बीज मंत्र सेंसिटिव करेंगे, प्रभावित करेंगे ।*
*- 🌹पूज्य बापूजी*

*🔹चेटीचंड - 10 अप्रैल 2024🔹*

*🌹 10 अप्रैल 2024 बुधवार को चैत्र सुद दूज चेटीचंड पर्व है । उस दिन रात को चंद्रमा को मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें । मन ही मन यह शुभ संकल्प करें कि, मेरा मन शांत रहे, भक्ति में लगे । गुरु चरणों में लगे ।*
*मंत्र : ॐ बालचन्द्रमसे नमः (3 बार)*

*🔹काम-धंधे में बरकत के लिए🔹*

*🔹नौकरी या काम-धंधे में बरकत नहीं आती हो तो गाय की धूलि लेकर उसको ललाट पर लगाकर काम-धंधे पर जाएँ । धीरे-धीरे बरकत होने लगेगी और विघ्न हटने लगेंगे । - 🌹 पूज्य बापूजी 🌹*

*🔹पेट सम्बन्धी तकलीफों में🔹*

*🔹नींबू के रस में सौंफ भिगो दें और जितना नींबू का रस, उतना ही सौंफ भी लें । फिर सौंफ में थोड़ा काला नमक या संत कृपा चूर्ण मिलाकर तवे में सेंक कर रख दो । ये लेने से पेट का भारीपन, बदहाजमी दूर होगी और भूख खुलकर लगेगी । कब्ज की तकलीफ भी ठीक हो जायेगी ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 11 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया दोपहर 03:03 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - कृतिका रात्रि 01.38 अप्रैल 12 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग प्रीति सुबह 07:19 तक तत्पश्चात आयुष्मान*
*राहु काल - दोपहर 02:13 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:24*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12.14 से दोपहर 01.05 तक*
* निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.16 अप्रैल 12 से रात्रि 01.02 अप्रैल 12 तक*
*व्रत पर्व विवरण- मत्स्य जयंती, गौरी पूजा, गणगौर*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।*

*🌹 मत्स्य जयंती - 11 अप्रैल 2024 🌹*

*🌹 भगवान विष्णु के 10 प्रमुख अवतारों में से उनका मत्स्य रूप भी एक है । मत्स्य यानी मछली जिस प्रकार उन्होंने सृष्टि के कल्याण के लिए अपने बाकी अवतार लिए थे ठीक उसी तरह भगवान का यह रूप भी संसार की सुरक्षा के लिए ही था । चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयंती के रूप में मनाया जाता है । यह दिन श्री हरी विष्णु के मत्स्य अवतार को समर्पित है । मत्स्य जयंती के दिन विष्णु जी की विशेष पूजा की जाती है। भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा, पाठ व्रत आदि करते हैं ।*

*🔹चैत्र नवरात्रि (9 अप्रैल से 17 अप्रैल 2024)🔹*

*🌹 नवरात्रि की तृतीया तिथि यानी तीसरा दिन माता चंद्रघंटा की पूजा कि जाती है । यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप हैं । इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है । असुरों के साथ युद्ध में देवी चंद्रघंटा ने घंटे की टंकार से असुरों का नाश किया था । नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन किया जाता है । इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है ।*

*🌹 तृतीया तिथि यानी की तीसरे दिन को माता दुर्गा को दूध का भोग लगाएं । इससे दुखों से मुक्ति मिलती है ।*

*🌹 गणगौर तीज - 11 अप्रैल 2024 🌹*

*🌹 चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर तीज का उत्सव मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 11 अप्रैल, गुरुवार को है । गणगौर उत्सव में मुख्य रूप से माता पार्वती व भगवान शिव का पूजन किया जाता है । भगवान शंकर-माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए इस दिन कुछ उपाय भी कर सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार है-*

*👉🏻 1. देवी भागवत के अनुसार, माता पार्वती का अभिषेक आम अथवा गन्ने के रस से किया जाए तो लक्ष्मी और सरस्वती ऐसे भक्त का घर छोड़कर कभी नहीं जातीं। वहां संपत्ति और विद्या का वास रहता है ।*

*👉🏻 2. शिवपुराण के अनुसार, लाल व सफेद आंकड़े के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से भोग व मोक्ष की प्राप्ति होती है ।*

*👉🏻 3. माता पार्वती को घी का भोग लगाएं तथा उसका दान करें । इससे रोगी को कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा वह निरोगी होता है ।*

*👉🏻 4. माता पार्वती को शक्कर का भोग लगाकर उसका दान करने से भक्त को दीर्घायु प्राप्त होती है । दूध चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है । मालपुआ चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार की समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाती है ।*

*👉🏻 5. भगवान शिव को चमेली के फूल चढ़ाने से वाहन सुख मिलता है । अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।*

*👉🏻 6. भगवान शिव की शमी पत्रों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है । बेला के फूल से पूजन करने पर शुभ लक्षणों से युक्त पत्नी मिलती है । धतूरे के फूल के पूजन करने पर भगवान शंकर सुयोग्य पुत्र प्रदान करते हैं, जो परिवार का नाम रोशन करता है । लाल डंठल वाला धतूरा पूजन में शुभ माना गया है ।*

*👉🏻 7. भगवान शिव पर ईख (गन्ना) के रस की धारा चढ़ाई जाए तो सभी आनंदों की प्राप्ति होती है । शिव को गंगाजल चढ़ाने से भोग व मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है ।*

*👉🏻 8. देवी भागवत के अनुसार वेद पाठ के साथ यदि कर्पूर, अगरु (सुगंधित वनस्पति), केसर, कस्तूरी व कमल के जल से माता पार्वती का अभिषेक करने से सभी प्रकार के पापों का नाश हो जाता है तथा साधक को थोड़े प्रयासों से ही सफलता मिलती है ।*

*👉🏻 9. जूही के फूल से भगवान शिव का पूजन करने से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। दूर्वा से पूजन करने पर आयु बढ़ती है । हरसिंगार के फूलों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति में वृद्धि होती है ।*
*👉🏻 10. देवी भागवत के अनुसार, माता पार्वती को केले का भोग लगाकर दान करने से परिवार में सुख-शांति रहती है । शहद का भोग लगाकर दान करने से धन प्राप्ति के योग बनते हैं । गुड़ की वस्तुओं का भोग लगाकर दान करने से दरिद्रता का नाश होता है ।*

*👉🏻 11. भगवान शिव को चावल चढ़ाने से धन की प्राप्ति हो सकती है । तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है ।*

*👉🏻 12. द्राक्षा (दाख) के रस से यदि माता पार्वती का अभिषेक किया जाए तो भक्तों पर देवी की कृपा बनी रहती है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 12 अप्रैल 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्थी दोपहर 01:11 तक तत्पश्चात पंचमी*
*नक्षत्र - रोहिणी रात्रि 12.51 अप्रैल 13 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग सौभाग्य रात्रि 02:13 अप्रैल 13 तक तत्पश्चात शोभन*
*राहु काल - सुबह 11:05 से दोपहर 12:39 तक*
*सूर्योदय - 06:23*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:37 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12.14 से दोपहर 01.04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00.16 अप्रैल 13 से रात्रि 01.02 अप्रैल 13 तक*
* व्रत पर्व विवरण- विनायक चतुर्थी, लक्ष्मी पंचमी*
*विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 नवरात्रि की चतुर्थी तिथि की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं । देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं । इनकी भक्ति करने वाले श्रद्धालु को धन-धान्य और संपदा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी प्राप्त होता है । मां दुर्गा के इस चतुर्थ रूप कूष्मांडा ने अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्मांड को उत्पन्न किया । इसी वजह से दुर्गा के इस स्वरूप का नाम कूष्मांडा पड़ा ।*

*🌹 मां कूष्मांडा के पूजन से हमारे शरीर का अनाहत चक्रजागृत होता है । इनकी उपासना से हमारे समस्त रोग व शोक दूर हो जाते हैं । साथ ही, भक्तों को आयु, यश, बल और आरोग्य के साथ-साथ सभी भौतिक और आध्यात्मिक सुख भी प्राप्त होते हैं ।*

*🌹 नवरात्रि के चौथे दिन यानी चतुर्थी तिथि को माता दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं । इससे समस्याओं का अंत होता है ।*

*🔹कर्ज-निवारण व धन-वृद्धि हेतु रखें इन बातों का विशेष ध्यान 🔹*

*🔸झाडू को कभी पैर न लगायें ।*

*🔸 भोजन बनाने के बाद तवा, कढ़ाई या अन्य बर्तन चूल्हे से उतारकर नीचे रखें ।*

*🔸 घर के दरवाजे को कभी भी पैर से ठोकर मार के न खोलें ।*

*🔸 देहली (दहलीज) पर बैठकर कभी भोजन न करें ।*
*🔸सुबह शाम की पहली रोटी गाय के लिए बनायें व समय-अनुकूलता अनुसार खिला दें ।*

*🔸 घर के बड़ों को प्रणाम करें । उनके आशीर्वाद से घर में बरकत आती है ।*

*🔸 रसोईघर में जूठे बर्तन कभी भी नहीं रखें तथा रात्रि में जूठे बर्तन साफ करके ही रखें ।*

*🔸 घर में गलत जगह शौचालय बन गया हो तो शौचालय में नमक रखने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव दूर होता है । नमक को शौचालय के अलावा कहीं भी खुला न रखें । इससे धन-नाश होता है ।*

*🔸 घर की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) दूर करने के लिए हफ्ते में एक बार नमक मिले पानी से पोंछा लगायें ।*

*🔸 घर में जितनी भी घड़ियाँ हों उन्हें चालू रखें, बंद होने पर तुरंत ठीक करायें, धनागम अच्छा होगा ।*

*🔸 घर की छत पर टूटी कुर्सियाँ, बंद घड़ियाँ, गत्ते के खाली डिब्बे, बोतलें, मूर्तियाँ या कबाड़ नहीं रखना चाहिए ।*

*🔸 घर में जाला या काई न लगने दें ।*

*🔸घर की दीवारों व फर्श पर पेंसिल, चाक आदि के निशान होने से कर्ज चढ़ता है । निशान हों तो मिटा दें ।*

*🔸बाधाओं से सुरक्षा हेतु हल्दी व चावल पीसकर उसके घोल से या केवल हल्दी से घर के प्रवेश द्वार पर ॐ बना दें ।*

*🔸प्रतिदिन प्रातः सूर्योदय के पूर्व उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें । असत्य वचन न बोलें । पूजाघर में दीपक व गौ-चंदन धूपबत्ती जलायें । हो सके तो ताजे पुष्प चढ़ायें और तुलसी या रुद्राक्ष की माला से अपने गुरुमंत्र का कम से कम १००० बार (१० माला) जप करें । जिन्होंने मंत्रदीक्षा नहीं ली हो वे जो भी भगवन्नाम प्रिय लगता हो उसका जप करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 13 अप्रैल 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी दोपहर 12:04 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - मृगशिरा रात्रि 12:49 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग शोभन रात्रि 12:34 अप्रैल 14 तक तत्पश्चात अतिगण्ड*
*राहु काल - सुबह 09:31 से सुबह 11:05 तक*
*सूर्योदय - 06:23*
*सूर्यास्त - 06:55*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 14 से रात्रि 01:01 अप्रैल 14 तक*
* व्रत पर्व विवरण- मेष संक्रांति, स्कंद षष्ठी, वैशाखी*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 धर्म शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा की जाती है । स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करनेा वाली हैं । देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कन्द की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जानते हैं ।*

*पंचमी तिथि यानी नवरात्रि के पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं व गरीबों को केले का दान करें । इससे आपके परिवार में सुख-शांति रहेगी ।*

*🌹 आर्थिक परेशानी हो तो... 🌹*

*🌹 स्कंद पुराण में लिखा है चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी (13 अप्रैल 2024 , शनिवार) को लक्ष्मी माता के 12 मंत्र बोलकर, शांत बैठकर मानसिक पूजा करे और उनको नमन करें तो उसको भगवती लक्ष्मी प्राप्त होती है, घर में लक्ष्मी स्थायी हो जाती हैं । उसके घर से आर्थिक समस्याएँ धीरे धीरे किनारा करती हैं । बारह मंत्र इस प्रकार हैं –*

*🌹ॐ ऐश्‍वर्यै नम:*
*🌹ॐ कमलायै नम:*
*🌹ॐ लक्ष्मयै नम:*
*🌹ॐ चलायै नम:*
*🌹ॐ भुत्यै नम:*
*🌹ॐ हरिप्रियायै नम:*
*🌹ॐ पद्मायै नम:*
*🌹ॐ पद्माल्यायै नम:*
*🌹ॐ संपत्यै नम:*
*🌹ॐ ऊच्चयै नम:*
*🌹ॐ श्रीयै नम:*
*🌹ॐ पद्मधारिन्यै नम:*

*सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनि । मंत्रपूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोस्तुते*
*द्वादश एतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्यय पठेत । स्थिरा लक्ष्मीर्भवेतस्य पुत्रदाराबिभिस:*
*उसके घर में लक्ष्मी स्थिर हो जाती है । जो इन बारह नामों को इन दिनों में पठन करें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 14 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी सुबह 11:43 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 01:35 अप्रैल 15 तक तत्पश्चात पुनर्वसु*
*योग- अतिगण्ड रात्रि 11:33 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - शाम 05:21 से शाम 06:56 तक*
*सूर्योदय - 06:22*
*सूर्यास्त - 06:56*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:14 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:16 अप्रैल 15 से रात्रि 01:01 अप्रैल 15 तक*
* व्रत पर्व विवरण- डॉ. अम्बेडकर जयंती, रविवारी सप्तमी सुबह 11:44 से 15 अप्रैल सूर्योदय तक*
*विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*


*🌹 नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है । महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था । इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं । नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं । वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं ।*

*🌹 नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं । इससे धन लाभ होने के योग बनते हैं ।*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 15 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी दोपहर 12:11 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 03:05 अप्रैल 16 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग- सुकर्मा रात्रि 11:09 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - सुबह 07:55 से 09:30 तक*
*सूर्योदय - 06:21*
*सूर्यास्त - 06:56*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से दोपहर 01:04 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 16 से रात्रि 01:01 अप्रैल 16 तक*
* व्रत पर्व विवरण- चैत्री नवरात्रि की सप्तमी तिथि के दिन देवी पार्वती की कालरात्रि स्वरूप की पूजा की जाती है। यदि नवरात्रि में 9 दिन व्रत उपवास न रख सके तो सप्तमी अष्टमी व नवमी तिथि को उपवास अवश्य करें।*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता। अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*🌹 चैत्र नवरात्रि 🌹*

*🌹 महाशक्ति मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि । नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है । मां कालरात्रि की आराधना के समय भक्त को अपने मन को भानु चक्र ( ललाट अर्थात सिर के मध्य ) पर स्थित करना चाहिए । इस आराधना के फलस्वरूप भानु चक्र की शक्तियां जागृत होती हैं । मां कालरात्रि की भक्ति से हमारे मन का हर प्रकार का भय नष्ट होता है । जीवन की हर समस्या को पल भर में हल करने की शक्ति प्राप्त होती है । शत्रुओं का नाश करने वाली मां कालरात्रि अपने भक्तों को हर परिस्थिति में विजय दिलाती हैं ।*

*🌹 नवरात्रि की सप्तमी तिथि यानी सातवें दिन माता दुर्गा को गुड़ का भोग लगाएं । इससे हर मनोकामना पूरी हो सकती है ।*



*🔹 सोमवार विशेष 🔹*

*🔸कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*

*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*

*🔹बुरे व विकारी सपनों से बचाव🔹*

*रात्रि को सोने से पूर्व 21 बार 'ॐ अर्यमायै नमः' मंत्र का जप करने से तथा तकिये पर अपनी माँ का नाम लिखने से (स्याही-पेन से नहीं, केवल उँगली से) व्यक्ति बुरे एवं विकारी सपनों से बच जाता है ।*

*🔹आरती में कपूर का उपयोग क्यों ?🔹*

*🔸सनातन संस्कृति में पुरातन काल से आरती में कपूर जलाने की परम्परा है । आरती के बाद आरती के ऊपर हाथ घुमाकर अपनी आँखों पर लगाते हैं, जिससे दृष्टी -इन्द्रिय सक्रिय हो जाती है । पूज्य बापूजी के सत्संग -वचनामृत में आता है : “आरती करते हैं तो कपूर जलाते हैं । कपूर वातावरण को शुद्ध करता है, पवित्र वातावरण की आभा पैदा करता है । घर में देव-दोष है, पितृ -दोष हैं, वास्तु -दोष हैं, भूत -पिशाच का दोष है या किसीको बुरे सपने आते हैं तो कपूर की ऊर्जा उन दोषों को नष्ट कर देती है ।*

*🔸बोलते हैं कि संध्या होती है तो दैत्य-राक्षस हमला करते हैं इसलिए शंख , घंट बजाना चाहिए, कपूर जलाना चाहिए, आरती-पूजा करनी चाहिए अर्थात संध्या के समय और सुबह के समय वातावरण में विशिष्ट एवं विभिन्न प्रकार के जीवाणु होते हैं जो श्वासोच्छवास के द्वारा हमारे शरीर में प्रवेश करके हमारी जीवनरक्षक जीवनरक्षक कोशिकाओं से लड़ते हैं । तो देव-असुर संग्राम होता है, देव माने सात्त्विक कण और असुर माने तामसी कण । कपूर की सुगंधि से हानिकारक जीवाणु एवं विषाण रूपी राक्षस भाग जाते हैं ।*


*🔸वातावरण में जो अशुद्ध आभा है इससे तामसी अथवा निगुरे लोग जरा-जरा बात में खिन्न होते हैं, पीड़ित होते हैं लेकिन कपूर और आरती का उपयोग करनेवालों के घरों में ऐसे कीटाणुओं का, ऐसो हलकी आभा का प्रभाव नहीं टिक सकता है ।*

*🔸अत: घर में कभी-कभी कपूर जलाना चाहिए, गूगल का धूप करना चाहिए । कभी-कभी कपूर की १ – २ छोटी-छोटी गोली मसल के घर में छिटक देनी चाहिए । उसकी हवा से ऋणायान बनते हैं, जो हितकारी हैं । वर्तमान के माहौल में घर में दीया जलाना अथवा कपूर की कभी-कभी आरती कर लेना अच्छा है ।*
*ऋषि प्रसाद – जुलाई २०२१ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 17 अप्रैल 2024*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - नवमी दोपहर 03:14 तक तत्पश्चात दशमी*
*नक्षत्र - अश्लेषा पूर्ण रात्रि तक*
*योग- शूल रात्रि 11:51 तक तत्पश्चात गण्ड*
*राहु काल - दोपहर 12:38 से दोपहर 02:13 तक*
*सूर्योदय - 06:20*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:34 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 18 से रात्रि 01:00 अप्रैल 18 तक*
* व्रत पर्व विवरण- राम नवमी, स्वामी नारायण जयंती*
*विशेष - नवमी को लौकी खाना गौमांस के समान त्याज्य है। दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 श्री राम नवमी - 17 अप्रैल 2024 🌹*

*🔸नवरात्रि पारण कब करें ? 🔸*

*🔸 शंका होगी कि 'नवमी को नवरात्रि का व्रत खोलना, पारायण करना है फिर यह रामनवमी उपवास कैसे शुरू करें ?"*

*🔸तो नवमी को नवरात्रि का उपवास मानसिक रूप से खोल के थोड़ा-सा फलाहार जैसा प्रसाद ले लिया फिर 'आज रामनवमी का व्रत रख रहा हूँ' ऐसा संकल्प करके व्रत कर लिया । उपवास दशमी को खोलना है ।*

*🔹त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री रामजी का जन्म हुआ था । इसलिए भारत सहित अन्य देशों में भी हिंदू धर्म को मानने वाले इस पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाते हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से हर इच्छा पूरी हो सकती है ।*

*🔸श्रीराम नवमी की सुबह किसी राम मंदिर में जाकर अथवा अपने घर में ही गुरुदेव के तस्वीरे सामने बैठ के राम रक्षा स्त्रोत का 11 बार पाठ करें । हर समस्याओं का समाधान हो जाएगा ।*

*🔹दक्षिणावर्ती शंख में दूध व केसर डालकर श्रीरामजी की मूर्ति का अभिषेक करें । इससे धन लाभ हो सकता है ।*

*🔹इस दिन बंदरों को चना, केले व अन्य फल खिलाएं । इससे आपकी हर मनोकामना पुरी हो सकती है ।*

*🔹श्रीराम नवमी की शाम को तुलसी के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाऐं । इससे घर में सुख-शांति रहेगी ।*

*🔹इस दिन भगवान श्रीरामजी को विभिन्न अनाजों का भोग लगाएँ और बाद में इसे गरीबों में बांट दें । इससे घर में कभी अन्न की कमी नहीं होगी ।*

*🔹इस दिन भगवान श्रीरामजी के साथ माता सीता की भी पूजा करें । इससे दांपत्य जीवन सुखी रहता है ।*

*🔹भगवान श्रीरामजी के मंदिर के शिखर पर ध्वजा यानी झंडा लगवाएं । इससे आपको मान-सम्मान व प्रसिद्धि मिलेगी ।*


*🌹 श्रीमद्देवीभागवत महापुराण में कुछ ऐसे ही उपायों के बारे में बताया है, जिसे नवरात्रि में नवमी या अष्टमी को अपनाकर आप भी सुख, समृद्धि और शांति पा सकते हैं । साथ ही बुरी नजर से लेकर कलह जैसी बाकी समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं ।*

*🔹समृद्धि के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में जाकर मूर्ति के सामने एक पान के पत्ते पर केसर में इत्र व घी मिलाकर स्वस्तिक बनाएं । अब उस पर कलावा लपेटकर एक सुपारी रखें ।*

*🔹पैसों की तंगी के लिए🔹*

*🔸नवमी तिथि या अष्टमी तिथि को माता का ध्यान कर घर के मंदिर में गाय के गोबर के उपले पर पान, लौंग, कर्पूर, व इलायची गूगल के साथ ही कुछ मीठा डालकर माता को धुनी (हवन) दें ।*

*🔹रुकावटें दूर करने के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में पान बीड़ा चढ़ाएं, इस पान में कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बूरा और सुमन कतरी के साथ ही लौंग का जोड़ा रखें । सुपारी व चूना न डालें ।*

*🔹बुरी नजर के लिए🔹*

*🔸माता के मंदिर में पान रखकर नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की 7 पंखुड़ियां रखकर खिलाएं । नजर दोष दूर होगा ।*

*🔹आकर्षण शक्ति बढ़ाने के लिए🔹*

*🔸पान के पत्ते की जड़ को माता भुनेश्वरी का ध्यान करते हुए घिसकर तिलक लगाएं ऐसा करने से आपकी आकर्षण शक्ति बढ़ने लगेगी ।*

*🔹पति पत्नी में अनबन हो तो🔹*

*🔸नवमी की रात चंदन और केसर पाउडर मिलाकर पान के पत्ते पर रखें । फिर दुर्गा माताजी की फोटो के सामने बैठ कर चंडी स्तोत्र का पाठ करें । रोजाना इस पाउडर का तिलक लगाएं ।*

*🔹काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए🔹*

*🔸अगर काम धंधा करते हैं और सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बेल के कोमल - कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को मंत्र (ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः ।।) बोलते हुए अर्पण करें । थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है, काम धंधे में सफलता मिलती है ।*
*- देवी भागवत (भगवान वेद व्यासजी)*

@Hindupanchang
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 18 अप्रैल 2024*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी शाम 05:31 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - अश्लेषा सुबह 07:57 तक तत्पश्चात मघा*
*योग- गण्ड रात्रि 12:44 अप्रैल 19 तक तत्पश्चात वृद्धि*
*राहु काल - दोपहर 02:13 से दोपहर 03:47 तक*
*सूर्योदय - 06:19*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:48 से 05:33 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:13 से 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 19 से रात्रि 01:00 अप्रैल 19 तक*
*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 एकादशी 18 अप्रैल शाम 05:31 से 19 अप्रैल रात्रि 08:04 बजे तक है ।*

*🔸व्रत उपवास 19 अप्रैल 2024 शुक्रवार को रखा जायेगा ।*

*🔹18 एवं 19 अप्रैल दोनों दिन चावल खाना और खिलाना निषेध है ।*

*🌹 सदगृहस्थों के आठ लक्षण 🌹*

*🌹 सदगृहस्थों के लक्षण बताते हुए महर्षि अत्रि कहते हैं कि अनसूया, शौच, मंगल, अनायास, अस्पृहा, दम, दान तथा दया – ये आठ श्रेष्ठ विप्रों तथा सदगृहस्थों के लक्षण हैं । यहाँ इनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा हैः*

*🌹अनसूयाः जो गुणवानों के गुणों का खंडन नहीं करता, स्वल्प गुण रखने वालों की भी प्रशंसा करता है और दूसरों के दोषों को देखकर उनका परिहास नहीं करता – यह भाव अनसूया कहलाता है ।*

*🌹 शौचः अभक्ष्य-भक्षण का परित्याग, निंदित व्यक्तियों का संसर्ग न करना तथा आचार – (शौचाचार-सदाचार) विचार का परिपालन – यह शौच कहलाता है)*

*🌹 मंगलः श्रेष्ठ व्यक्तियों तथा शास्त्रमर्यादित प्रशंसनीय आचरण का नित्य व्यवहार, अप्रशस्त (निंदनीय) आचरण का परित्याग – इसे धर्म के तत्त्व को जानने वाले महर्षियों द्वारा ʹमंगलʹ नाम से कहा गया है ।*

*🌹 अनायासः जिस शुभ अथवा अशुभ कर्म के द्वारा शरीर पीड़ित होता हो, ऐसे व्यवहार को बहुत अधिक न करना अथवा सहज भाव से आसानीपूर्वक किया जा सके उसे करने का भाव ʹअनायासʹ कहलाता है ।*

*🌹 अस्पृहाः स्वयं अपने-आप प्राप्त हुए पदार्थ में सदा संतुष्ट रहना और दूसरे की स्त्री की अभिलाषा नहीं रखना – यह भाव ʹअस्पृहाʹ कहलाता है ।*

*🌹 दमः जो दूसरे के द्वारा उत्पन्न बाह्य (शारीरिक) अथवा आध्यात्मिक दुःख या कष्ट के प्रतिकारस्वरूप उस पर न तो कोई कोप करता है और न उसे मारने की चेष्टा करता है अर्थात् कियी भी प्रकार से न तो स्वयं उद्वेग की स्थिति में होता है और न दूसरे को उद्वेलित करता है, उसका यह समता में स्थित रहने का भाव ʹदमʹ कहलाता है ।*

*🌹 दानः ʹप्रत्येक दिन दान देना कर्तव्य हैʹ - यह समझकर अपने स्वल्प में भी अंतरात्मा से प्रसन्न होकर प्रयत्नपूर्वक यत्किंचित देना ʹदानʹ कहलाता है ।*

*🌹 दयाः दूसरे में, अपने बंधुवर्ग में, मित्र में, शत्रु में, तथा द्वेष करने वाले में अर्थात् सम्पूर्ण चराचर संसार में एवं सभी प्राणियों में अपने समान ही सुख-दुःख की प्रतीति करना और सबमें आत्मभाव-परमात्मभाव समझकर सबको अपने ही समान समझकर प्रीति का व्यवहार करना – ऐसा भाव ʹदयाʹ कहलाता है । महर्षि अत्रि कहते हैं, इन लक्षणों से युक्त शुद्ध सदगृहस्थ अपने उत्तम धर्माचरण से श्रेष्ठ स्थान को प्राप्त कर लेता है, पुनः उसका जन्म नहीं होता और वह मुक्त हो जाता हैः*

*यश्चैतैर्लक्षणैर्युक्तो गृहस्थोઽपि भवेद् द्विजः।*
*स गच्छति परं स्थानं जायते नेह वै पुनः।।*
*(अत्रि संहिताः 2.42)*
@Hindupanchang
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 19 अप्रैल 2024*

*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी रात्रि 08:04 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - मघा सुबह 10:57 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग- वृद्धि रात्रि 01:45 अप्रैल 20 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - सुबह 11:38 से दोपहर 12:38 तक*
*सूर्योदय - 06:18*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:33 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:15 अप्रैल 20 से रात्रि 01:00 अप्रैल 20 तक*
* व्रत पर्व विवरण- कामदा एकादशी*
*विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है। द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 कामदा एकादशी - 19 अप्रैल 2024🌹*


*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*

*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 20 अप्रैल 2024*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वादशी रात्रि 10:41 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
*नक्षत्र - पूर्वफाल्गुनी दोपहर 02:14 तक तत्पश्चात उत्तरफाल्गुनी*
*योग- ध्रुव रात्रि 02:48 अप्रैल 21 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - सुबह 09:27 से सुबह 11:02 तक*
*सूर्योदय - 06:17*
*सूर्यास्त - 06:57*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:32 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 21 से रात्रि 01:00 अप्रैल 21 तक*
* व्रत पर्व विवरण- वामन द्वादशी*
*विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) को खाने से पुत्र का नाश होता है। त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है।*

🌹मनचाही नौकरी-धंधा पाने के इच्छुक जरुर सुनें🌹

*🔹ग्रहबाधा दूर करने का उपाय🔹*

👉🏻 *शनि, राहू-केतु आदि ग्रहों के दोष-निवारण के लिए प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को अपने हाथ से आटे की लोई गुड़सहित प्रेमपूर्वक किसी नंदी अथवा गाय को खिलायें । कैसी भी ग्रहबाधा हो, दूर हो जायेगी ।*
*📒 लोक कल्याण सेतु – अक्टूबर 2019*

*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

*🔹अकाल मृत्यु व घर में बार बार मृत्यु होने पर🔹*

*🔸जिसे मौत का भय होता है या घर में मौतें बार-बार होती हों, तो शनिवार को "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करें । खाली १०८ बार जप करें तो दीर्घायुष्य का धनी होगा । अकाल मृत्यु व एक्सिडेंट आदि नहीं होगा । ऐसा १० शनिवार या २५ शनिवार करें, नहीं तो कम से कम ७ शनिवार तो जरूर करें ।*

*🔸विघ्न-बाधाओं व दुर्घटना से बचने का उपाय🔸*

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।*

*🔸रोज सुबह उठने पर अथवा घर से बाहर जाते समय एक बार इस मंत्र का जप कर लें तो विघ्न-बाधारहित, दुर्घटनारहित गाड़ी अपने रास्ते सफर करती रहेगी । और जीवन की शाम होने से पहले रोज उस त्र्यम्बक (परमात्मा) में थोड़ी देर शांत रहा करो ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 21 अप्रैल 2024*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - त्रयोदशी रात्रि 01:11 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - उत्तरफाल्गुनी शाम 05:08 तक तत्पश्चात हस्त*
*योग- व्याघात रात्रि 03:45 अप्रैल 22 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - शाम 05:23 से शाम 06:58 तक*
*सूर्योदय - 06:17*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:31 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:03 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 22 से रात्रि 00:59 अप्रैल 22 तक*
* व्रत पर्व विवरण- महावीर स्वामी जयंती*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन को खाने से पुत्र का नाश होता है। चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*

*🔸प्रातः भ्रमण की महत्ता 🔸*

🔹 इम्यून सिस्टम को Powerful बनानेवाली जीवनशैली | Wanna Make your immune system powerful? | Pujya Bapu

*🔹 प्रातः एवं सायं भ्रमण उत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है । पशुओं का राजा सिंह सुबह 3.30 से 5 बजे के दौरान अपने बच्चों के साथ उठकर गुफा से बाहर निकल के साफ हवा में भ्रमण कर आसपास की किसी ऊँची टेकरी पर सूर्य की ओर मुँह करके बैठ जाता है । सूर्य का दर्शन कर शक्तिशाली कोमल किरणों को अपने शरीर में लेने के पश्चात ही गुफा में वापस आता है । यह उसके बलशाली होने का एक राज है ।*

*🔹भ्रमण पूज्य बापूजी की दिनचर्या का एक अभिन्न अंग है । उत्तम स्वास्थ्य की इस कुंजी के द्वारा आप मानो चरैवेति चरैवेति । आगे बढ़ो, आगे बढ़ो । यह वैदिक संदेश ही जनसाधारण तक पहुँचाना चाहते हैं । पूज्य श्री कहते हैं- "प्रातः ब्राह्ममुहूर्त में वातावरण में निसर्ग की शुद्ध एवं शक्तियुक्त ओजोन वायु का बाहुल्य होता है, जो स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।*

*प्रातःकाल की वायु को, सेवन करत सुजान।*
*तातें मुख छवि बढ़त है, बुद्धि होत बलवान।।*

*🔸रोग प्रतिकारक शक्तिवर्धक अनुभूत प्रयोग🔸*

*🔹गाय के दूध की जितनी मात्रा हो उससे आधी मात्रा में पानी मिलाकर उसमे सोने की वस्तु (शुद्ध सोने का साफ़ सुथरा गहना चलेगा) डालकर धीमी आंच पर पानी जल जाने तक उबालें । देशी नस्ल की गाय के दूध में प्राकृतिक रूप से स्वर्णक्षार पाए जाते हैं । स्वर्ण के साथ दूध उबालने से स्वर्ण में स्थित स्वर्णक्षार भी दूध में मिल जाते हैं । यह स्वर्णसिद्ध गौदुग्ध रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है । इसका सेवन कर वृद्ध लोग भी तंदुरुस्त रह सकते हैं l सोना न हो तो चांदी का भी उपयोग किया जा सकता है ।*
*लोक कल्याण सेतु अक्टूबर 2011*

*🔸बड़ (बरगद)🔸*

*🔹बवासीर, वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन, प्रमेह स्वप्नदोष आदि रोगों में बड़ का दूध अत्यंत लाभकारी है । प्रातः सूर्योदय के पूर्व वायुसेवन के लिये जाते समय २-३ बताशे साथ में ले जायें ।*

*🔹बड़ की कली को तोड़कर एक-एक बताशे में बड़ के दूध की ४-५ बूँद टपकाकर खा जायें । धीरे-धीरे बड़ के दूध की मात्रा बढ़ाते जायें । ८-१० दिन के बाद मात्रा कम करते-करते अपनी शुरूवाली मात्रा पर आ जायें । कम-से-कम चालीस दिन यह प्रयोग करे ।*

*🔹बड़ का दूध दिल, दिमाग व जिगर को शक्ति प्रदान करता है एवं मूत्र रुकावट (मूत्रकृच्छ) में भी आराम होता है । इसके सेवन से रक्तप्रदर व खूनी बवासीर का रक्तसाव बन्द होता है पैरों की एडियों में बड़ को दूध लगाने से वे नहीं फटती चोट, मोच और गठिया रोग में इसकी सूजन पर इस दूध का लेप करने से बहुत आराम होता है ।*

*🔹मुफ्त में उपलब्ध यह दूध अच्छे से अच्छे बलवीर्यवर्द्धक नुस्खे की बराबरी कर सकता है । वीर्य- विकार व कमजोरी के शिकार रोगियों को धैर्य के साथ लगातार ऊपर बताई विधि के अनुसार इसका सेवन करना चाहिये ।*

*🔹बड़ की छाल का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन एक कप मात्रा में पीने से मधुमेह (डायबिटीज) में फायदा होता है व शरीर में बल बढ़ता है ।*

*🔹उसके कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर कूट- पीस लें । आधा लिटर पानी में एक चम्मच चूर्ण डालकर काढ़ा करें । जब चौथाई पानी शेष बचे तब उतारकर छान लें और पिसी मिश्री मिलाकर कुनकुना करके पियें । यह प्रयोग दिमागी शक्ति बढ़ाता है व नजला- जुकाम ठीक करता है ।*
*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 22 अप्रैल 2024*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी रात्रि 03:25 अप्रैल 23 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - हस्त रात्रि 08:00 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग- हर्षण प्रातः 04:29 अप्रैल 23 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - सुबह 07:51 से सुबह 09:23 तक*
*सूर्योदय - 06:16*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:31 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:12 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 23 से रात्रि 00:59 अप्रैल 23 तक*
* व्रत पर्व विवरण- पृथ्वी दिवस*
*विशेष - चतुर्दशी के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*


*🔹उत्तम स्वास्थ्य हेतु निद्रा – संबंधी ध्यान देने योग्य जरूरी बातें🔹*

*🔹क्या करें✔️🔹*
*👉 १] आयु –आरोग्य संवर्धन हेतु उचित समय पर, उचित मात्रा में नींद लेना जरूरी है ।*
*👉 २] रात को ढीले वस्त्र पहन के बायीं करवट सोयें ।*
*👉 ३] अनिद्रा हो तो सिर पर आँवला-भृंगराज केश तेल व शरीर पर तिल की एवं पैरों के तलवों पर घी की मालिश करें ।*
*👉 ४] सोने से पहले शास्त्राध्ययन या सत्संग श्रवण कर कुछ देर ॐकार का दीर्घ उच्चारण करें, फिर श्वासोच्छ्वास के साथ भगवन्नाम की गिनती करते हुए सोयें तो नींद भी उपासना हो जायेगी ।*

*🔸क्या न करें 🔸*

*👉 १] हाथ-पैर सिकोड़कर, पैरों के पंजो की आँटी (क्रॉस) करके, सिर के पीछे या ऊपर हाथ रखकर तथा पेट के बल नहीं सोना चाहिए ।*
*👉 २] रात को पैर गीले रख के नही सोना चाहिए ।*
*👉 ३] देर रात तक जागरण से शरीर में धातुओं का शोषण होता हैं व शरीर दुर्बल होता है ।*
*👉 ४] दिन में शयन करने से शरीर में बल का क्षय हो जाता है । स्थूल, कफ प्रकृतिवाले व कफजन्य व्याधियों से पीड़ित व्यक्तियों को सभी ऋतुओं में दिन की निद्रा अत्यंत हानिकारक है ।*

*🔹आँवला – भृंगराज केश तेल संत श्री आशारामजी आश्रम व समिति के सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है ।*
*ऋषिप्रसाद – नवम्बर २०१८ से*

*🔸आत्मरस पाने में परमात्मा के भजन में, परमात्मा के खजाने को पाने में ये पाँच बातें विघ्न करती है ।*

*(१) विषय भोग की इच्छा*
*(२) आलस्य निद्रा*
*(३) बेकार का हँसी-विनोद : हँसी हो तो हरि-तत्त्व की हो, आत्मपरक बात की हो। ये जो पान के गल्ले (दुकान) पर हँसी-मजाक करके अपने को सुखी मान लेते हैं, उसमें से तो झगड़े भी पैदा हो जाते हैं, अज्ञान बढ़ जाता है। इस प्रकार की जो हँसी है वह परमात्म-रस में बाधा डालती है ।*
*(४) जगत के पदार्थों की प्रीति, जगत के पदार्थों का, जगत का चिंतन ।*
*(५) अधिक बोलना ।*

*ये पाँचों बातें शक्ति क्षीण कर देती हैं ये आत्मज्ञान के रास्ते में, हरि भजन में विघ्न हैं ।*

*🔹कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*🔸जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*
*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*

*🔸सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*🔸सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 23 अप्रैल 2024*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - चैत्र*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पूर्णिमा सुबह 05:18 अप्रैल 24 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*नक्षत्र - चित्रा रात्रि 10:32 तक तत्पश्चात स्वाति*
*योग- वज्र प्रातः 04:57 अप्रैल 24 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - दोपहर 03:48 से शाम 05:23 तक*
*सूर्योदय - 06:15*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:45 से 05:30 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 24 से रात्रि 00:59 अप्रैल 24 तक*
* व्रत पर्व विवरण- चैत्री पूर्णिमा, श्री हनुमान जयंती*
*विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।*

*🔹स्वास्थ्य के लिए हितकारी पीपल :-🔹*

*🔸पित्त-नाश व बलवृधि के लिए :🔸*

*🔸पीपल के कोमल पत्तों का मुरब्बा बड़ी शक्ति देता है । इसके सेवन से शरीर की कई प्रकार की गर्मी-संबंधी बीमारियाँ चली जाती है । यह किडनी की सफाई करता है । पेशाब खुलकर आता है । पित्त से होने वाली आँखों की जलन दूर होती है । यह गर्भाशय व मासिक संबंधी रोगों में लाभकारी है । इसके सेवन से गर्भपात का खतरा दूर हो जाता है ।*

*🔸पीपल के पत्ते ऐसे नहीं तोड़ना चाहिए । पहले पीपल देवता को प्रणाम करना कि ‘महाराज ! औषध के लिए हम आपकी सेवा लेते हैं, कृपा करना’ पीपल को काटना नहीं चाहिए । उसमें सात्विक देवत्व होता है ।*

*🔸मुरब्बा बनाने की विधि : पीपल के २५० ग्राम लाल कोमल पत्तों को पानी से धोकर उबाल लें, फिर पीसकर उसमें समभाग मिश्री व ५० ग्राम देशी गाय का घी मिलाकर धीमी आँच पर सेंक लें । गाढ़ा होने पर ठंडा करके सुरक्षित किसी साफ बर्तन ( काँच की बरनी उत्तम है ) में रख लें ।*

*🔹सेवन-विधि : १०-१० ग्राम सुबह-शाम दूध से लें ।*

*🔹हृदय मजबूत करने के लिए : १०-१२ ग्राम पीपल के कोमल पत्तों का रस और चोथाई चमम्च पीसी मिश्री सुबह-शाम लेने से हृदय मजबूत होता है, हृदयघात (हार्ट -अटैक) नहीं होता । इससे मिर्गी व मूर्च्छा की बीमारी में लाभ होता है ।*
*📖- लोक कल्याण सेतु - मार्च 2012*

*🔹सुख-समृद्धि की सदैव वृद्धि हेतु*

*🏡 घर के मध्य में तुलसी का पौधा होने से घर में प्रेम के साथ-साथ सुख-समृद्धि की भी सदैव वृद्धि होती रहती है ।*

*📖- ऋषि प्रसाद July 2012*

*🔹 देशी गाय व भैंस के दूध में अंतर🔹*

*🐄 देशी गाय का दूध 🐄*
* १] सुपाच्य होता है ।*
* २] इसमें स्वर्ण-क्षार होते हैं ।*
* ३] बुद्धि को कुशाग्र बनाता है ।*
* ४] स्मरणशक्ति बढाता है एवं स्फूर्ति प्रदान करता है ।*
* ५] यह सत्त्वगुण बढ़ाता है ।*
* ६] गाय अपना बछड़ा देखकर स्नेह व वात्सल्य से भर के दूध देती है ।*

*🐃 भैंस का दूध 🐃*
* १] पचने में भारी होता है ।*
* २] इसमें स्वर्ण-क्षार नहीं होते हैं ।*
* ३] बुद्धि को मंद करता है ।*
* ४] यह आलस्य व अत्यधिक नींद लाता है ।*
* ५] यह तमोगुण बढ़ाता है ।*
* ६] भैंस स्वाद व खुराक देखकर दूध देती है । भैंस का दूध पीके बड़े होनेवाले भाई सम्पदा के लिए लड़ते-मरते हैं ।*

*🐄 देशी गाय के दूध में सम्पूर्ण प्रोटीन्स रहने के कारण यह मनुष्यों के लिए अनिवार्य है । भैंस के दूध की अपेक्षा गाय के दूध में रहनेवाले प्रोटीन्स सुगमता से पचते हैं । गाय के दूध में ऑक्सिडेज तथा रिडक्टेज एंजाइम की प्रचुरता रहती है, जो पाचन में सहायता देने के अतिरिक्त दूध पीनेवालों के शरीर में पाये जानेवाले टोक्सिंस (विषैले पदार्थ) को दूर करते हैं ।*

*🐄 देशी गाय के दूध की और भी अनेक विशेषताएँ हैं । ऊपर दिये गये बिन्दुओं से देशी गाय के दूध की श्रेष्ठता स्पष्ट हो जाती है । देशी गाय का दूध पीकर हम आयु, बुद्धिमत्ता, सात्त्विकता, निरोगता आदि बढायें या भैंस का दूध पी के इन्हें घटायें – यह हमारे हाथ की बात है ।*

*🐃 भैंस के दूध से भी अधिक हानिकारक है जर्सी आदि विदेशी संकरित गायों का दूध ।*

*- 📖स्त्रोत- ऋषिप्रसाद – मार्च २०१६ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*

*दिनांक - 24 अप्रैल 2024*
*दिन बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - वसंत*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र - स्वाति रात्रि 12:41 अप्रैल 25 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग- सिद्धि प्रातः 05:06 अप्रैल 25 तक तत्पश्चात व्यतिपात*
*राहु काल - दोपहर 12:37 से दोपहर 02:42 तक*
*सूर्योदय - 06:15*
*सूर्यास्त - 06:58*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:30 तक*
* अभिजीत मुहूर्त- कोई नही*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 25 से रात्रि 00:59 अप्रैल 25 तक*
* व्रत पर्व विवरण- वैशाख स्नानारम्भ*
*विशेष - प्रतिपदा के दिन कुष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) खाने से धन का नाश होता है।*

*🔸वैशाख मास 24 अप्रैल से 23 मई 2024🔸*

*🔹वैशाख मास माहात्म्य🔹*
*(स्कन्द पुराण अंतर्गत)*

*🔹अम्बरीष ने पूछा – मुने ! वैशाख माह के व्रत का क्या विधान है ? इसमें किस तपस्या का अनुष्ठान करना पड़ता है ? क्या दान होता है? कैसे स्नान किया जाता है और किस प्रकार भगवान केशव की पूजा की जाती है ? ब्रह्मर्षे ! आप श्रीहरि के प्रिय भक्त तथा सर्वज्ञ हैं, अत: कृपा करके मुझे ये सब बातें बताइए ।*

*🔹नारदजी ने कहा – साधुश्रेष्ठ ! सुनो, वैशाख मास में जब सूर्य मेष राशि पर चले जाएँ तो किसी बड़ी नदी में, नदी रूप तीर्थ में, सरोवर में, झरने में, देवकुण्ड में, स्वत: प्राप्त हुए किसी भी जलाशय में, बावड़ी में अथवा कुएँ आदि पर जाकर नियमपूर्वक भगवान श्रीविष्णु का स्मरण करते हुए स्नान करना चाहिए । स्नान के पहले निम्नांकित श्लोक का उच्चारण करना चाहिए –*

*यथा ते माधवो मासो वल्लभो मधुसूदन ।*
*प्रात:स्नानेन मे तस्मिन् फलद: पापहा भव ।।(89।11)*

*अर्थ – “मधुसूदन ! माधव मास (वैशाख माह) आपको विशेष प्रिय है, इसलिए इसमें प्रात:स्नान करने से आप शास्त्रोक्त फल देने वाले हो और मेरे पापों का नाश कर दें”।*

*येSबान्धवा बान्धवा ये येSन्यजन्मनि बान्धवा:।*

*ये तृप्तिमखिला यान्तु येSप्यस्मत्तोयकाड्क्षिण:।। (89।35)*

*अर्थ – “जो लोग मेरे बान्धव न हों, जो मेरे बान्धव हों तथा जो दूसरे किसी जन्म में मेरे बान्धव रहे हों, वे सब मेरे दिये हुए जल से तृप्त हों । उनके सिवा और भी जो कोई प्राणी मुझसे जल की अभिलाषा रखते हों, वे भी तृप्ति लाभ करें ।”*

*यों कहकर उनकी तृप्ति के उद्देश्य से जल गिराना चाहिए । तत्पश्चात सूर्यदेव के नामों का उच्चारण करते हुए अक्षत, फूल, लाल चन्दन और जल के द्वारा उन्हें यत्नपूर्वक अर्घ्य दें ।*

*अर्घ्यदान का मन्त्र इस प्रकार है –*

*नमस्ते विश्वरूपाय नमस्ते नमस्ते ब्रह्मरूपिणे।।*
*सहस्त्ररश्मये नित्यं नमस्ते सर्वतेजसे।*
*नमस्ते रुद्रवपुषे नमस्ते भक्तवत्सल।।*
*पद्मनाभ नमस्तेSस्तु कुण्डलांगदभूषित।*
*नमस्ते सर्वलोकानां सुप्तानामुपबोधन।।*
*सुकृतं दुष्कृतं चैव सर्वं पश्यसि सर्वदा।*
*सत्यदेव नमस्तेSस्तु प्रसीद मम भास्कर।।*
*दिवाकर नमस्तेSस्तु प्रभाकर नमोSस्तु ते। (89।37-41)*


*🔹विशेषत: वैशाख के महीने में जो श्रीमधुसूदन का पूजन करता है, उसके द्वारा पूरे एक वर्ष तक श्रीमाधव की पूजा सम्पन्न हो जाती है ।*

*🔹जो समूचे वैशाख भर प्रतिदिन सवेरे स्नान करता, जितेन्द्रियभाव से रहता, भगवान के नाम जपता और हविष्य भोजन करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है ।*

*🔹जो वैशाख मास में आलस्य त्यागकर एकभुक्त (चौबीस घंटे में एक बार भोजन करना), नक्तव्रत (केवल रात में एक बार भोजन) अथवा अयाचितव्रत (बिना माँगे मिले हुए अन्न का एक समय भोजन) करता है, वह अपनी संपूर्ण अभीष्ट वस्तुओं को प्राप्त कर लेता है ।*

*🔹वैशाख मास में प्रतिदिन दो बार गाँव से बाहर नदी के जल में स्नान करना, हविष्य खाकर रहना, ब्रह्मचर्य का पालन करना, पृथ्वी पर सोना, नियमपूर्वक रहना, व्रत, दान, जप, होम और भगवान मधुसूदन की पूजा करना – ये नियम हजारों जन्मों के भयंकर पाप को भी हर लेते हैं ।*

*🔹जैसे भगवान माधव ध्यान करने पर सारे पाप नष्ट कर देते हैं, उसी प्रकार नियमपूर्वक किया हुआ माधवमास का स्नान भी समस्त पापों को दूर कर देता है ।*

*🔹प्रतिदिन तीर्थ स्नान, तिलों द्वारा पितरों का तर्पण, धर्मघट आदि का दान और श्रीमधुसूदन का पूजन – ये भगवान को संतोष प्रदान करने वाले हैं, वैशाख मास में इनका पालन अवश्य करना चाहिए ।*

*🔹जो वैशाख मास में तुलसीदल से भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह विष्णु की सायुज्य मुक्ति को पाता है ।*

*🔹जो व्यक्ति महात्माओं, थके और प्यासे व्यक्तियों को स्नेह के साथ शीतल जल पिलाता है, उसे उतनी ही मात्रा से दस हजार राजसूय यज्ञों का फल प्राप्त होता है ।*

*🔹जो वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाता है, वह विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है ।*
*🔹दोपहर में आए हुए ब्राह्मण मेहमान को या भूखे जीव को यदि कोई भोजन करवाएं तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है ।*

*🔹विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है ।*

*🔹जो वैशाख मास गर्मी के महीने में फल और शर्बत का दान देता है उससे उसके पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते है और दान देने वाले के सारे पाप कट जाते हैं ।*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 25 अप्रैल 2024*
*दिन- गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - प्रतिपदा सुबह 6:45 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - विशाखा रात्रि 02:24 अप्रैल 26 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग- व्यतिपात प्रातः 04:54 अप्रैल 26 तक तत्पश्चात वरीयान*
*राहु काल - दोपहर 02:12 से दोपहर 03:48 तक*
*सूर्योदय - 06:14*
*सूर्यास्त - 06:59*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:29 तक*
* अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 00:14 अप्रैल 26 से रात्रि 00:59 अप्रैल 26 तक*
*व्रत पर्व विवरण- सम्पूर्ण वैशाख मास 24 अप्रैल से 23 मई तक सब तीर्थ आदि देवता जल में सदैव स्थित रहते हैं। अतः इस सर्वोत्तम मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान व जलदान महापुण्यदायी है।*
*विशेष - द्वितीया के दिन बृहति (छोटा बैंगन, कटेहरी) खाना वर्जित है।*

*🌹 वैशाख मास माहात्म्य 🌹*

*🌹 वैशाख मास सुख से साध्य, पापरूपी इंधन को अग्नि की भाँति जलानेवाला, अतिशय पुण्य प्रदान करनेवाला तथा धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष - चारों पुरुषार्थों को देनेवाला है ।*

*🌹 देवर्षि नारदजी राजा अम्बरीष से कहते हैं : ‘‘राजन् ! जो वैशाख में सूर्योदय से पहले भगवत्-चिंतन करते हुए पुण्यस्नान करता है, उससे भगवान विष्णु निरंतर प्रीति करते हैं । पाप तभी तक गरजते हैं जब तक जीव यह पुण्यस्नान नहीं करता ।*

*🌹 वैशाख मास में सब तीर्थ आदि देवता बाहर के जल (तीर्थ के अतिरिक्त) में भी सदैव स्थित रहते हैं । सब दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल होता है, उसीको मनुष्य वैशाख में केवल जलदान करके पा लेता है । यह सब दानों से बढ़कर हितकारी है ।’’ (ऋषि प्रसाद, अप्रैल : 2009)*

*🌹 वैशाख (माधव) मास में जो भक्तिपूर्वक दान, जप, हवन और स्नान आदि शुभ कर्म किये जाते हैं, उनका पुण्य अक्षय तथा सौ करोड़ गुना अधिक होता है । (पद्म पुराण)*

*🔹गर्मियों में स्वास्थ्य-सुरक्षा हेतु🔹*
* क्या करें ?*


*👉🏻 १] गर्मी के कारण जिनको सिरदर्द व कमजोरी होती है वे लोग सूखा धनियां पानी में भिगा दें और घिसके माथे पर लगायें । इससे सिरदर्द और कमजोरी दूर होगी ।*

*👉🏻 २] नाक से खून गिरता हो तो हरे धनिये अथवा ताजी कोमल दूब (दूर्वा) का २ – २ बूँद रस नाक में डालें । इससे नकसीर फूटना बंद हो जायेगा ।*

*👉🏻 ३] सत्तू में शीतल जल, मिश्री और थोडा घी मिलाकर घोल बनाके पियें । यह बड़ा पुष्टिा दायी प्रयोग है । भोजन थोडा कम करें ।*

*👉🏻 ४] भोजन के बीच में २५ – ३५ मि. ली. आँवले का रस पियें । ऐसा २१ दिन करें तो ह्रदय व मस्तिष्क की दुर्बलता दूर होगी । ( शुक्रवार व रविवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।)*

*👉🏻 ५] २० मि. ली. आँवला रस, १० ग्राम शहद, ५ ग्राम घी – सबका मिश्रण करके पियें तो बल, बुद्धि, ओज व आयु बढ़ाने में मदद मिलती है ।*

*👉🏻 ६] मुँह में छाले पड गये हों तो त्रिफला चूर्ण को पानी में डाल के कुल्ले करें तथा मिश्री चूसें । इससे छाले शांत हो जायेंगे ।*

* क्या न करें ?*
*👉🏻 १] अति परिश्रम, अति कसरत, अति रात्रि-जागरण, अति भोजन व भारी भोजन नहीं करें । भोजन में लाल मिर्च व गर्म मसालों का प्रयोग न करें ।*

*👉🏻 २] गर्मियों में दही भूल के भी नहीं खाना चाहिए । इससे आगे चल के नस-नाड़ियों में अवरोध उत्पन्न होता है और कई बीमारियाँ होती हैं । दही खाना हो तो सीधा नहीं खायें, पहले उसे मथ के मक्खन निकाल लें और बचे हुए भाग को लस्सी या छाछ बना के मिश्री मिला के या छौंक लगा के सेवन करें । ध्यान रहे, दही खट्टा न हो ।*

*👉🏻 ३] बाजारू शीतल पेयों से बचें । फ्रिज का पानी न पियें । धूप में से आकर तुरंत पानी न पियें ।*

*👉🏻 ४ ] अति मैथुन से बुढापा जल्दी आयेगा, कमजोरी जल्दी आयेगी । अत: इससे दूर रहें | ग्रीष्म ऋतू में विशेषरूप से संयम रखें ।*
*📖ऋषि प्रसाद – अप्रैल २०१९ से*
*🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞*
*दिनांक - 26 अप्रैल 2024*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2081*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - वैशाख*
*पक्ष - कृष्ण*
*तिथि - द्वितीया प्रातः 07:45 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 03:40 तक अप्रैल 27 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा*
*योग- वरीयान प्रातः 04:20 अप्रैल 27 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहु काल - सुबह 11:01 से दोपहर 12:36 तक*
*सूर्योदय - 06:13*
*सूर्यास्त - 06:59*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:43 से 05:28 तक*
* अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12:11 से दोपहर 01:02 तक*
*निशिता मुहूर्त- रात्रि 12:14 अप्रैल 27 से रात्रि 12:58 अप्रैल 27 तक*
*विशेष - तृतीय को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹लू से बचने के लिए🔹*

*🔹लू से बचने के लिए तेज धूप में घर से बाहर निकलते समय पानी पीकर एवं जूते व टोपी पहन के ही निकलें । एक साबुत प्याज साथ में रखें । लू लगने पर मोसम्बी के रस का सेवन बहुत ही लाभदायी हैं ।*
*📖 ऋषि प्रसाद – मई २०२०*

*🔹सिर का सहज सुरक्षा-कवच टोपी🔹*

*👉 धूप से अपने सिर की रक्षा करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है । धूप में नंगे सिर घूमने से सिर,आँख,नाक व कान के अनेक रोग होते हैं । सिर में गर्म हवा लगने एवं बारिश का पानी पड़ने से भी अनेक रोग होते हैं । धूप के दुष्प्रभाव से ज्ञान तंतुओं को क्षति पहुंचती है, जिससे यादशक्ति कम हो जाती है ।*

*👉 पूर्वकाल में हमारे दादा-परदादा नियमित रूप से टोपी या पगड़ी पहनते थे और महिलाएँ हमेशा सिर ढक कर रखती थी । इस कारण उन्हें समय से पूर्व बाल सफेद होना, अत्यधिक बाल झड़ना (गंजापन), सर्दी होना, सिर दर्द होना तथा आँख,कान,नाक के बहुत-से रोग इनका इतना सामना नहीं करना पड़ता था ।*

*👉 यदि आप अपने शरीर के उपरोक्त महत्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता लम्बे समय तक बनाये रखना चाहते हैं तो धूप से अपने सिर की रक्षा कीजिये । इसके लिए टोपी अत्यंत सुविधाजनक तथा उपयोगी है ।*

*आयुर्वेद कहता है:-*
*उष्णीषं कान्तिकृत्केश्यं रजोवातकफापहम् ।।*
*लघु यच्छस्यते तस्मात् गुरुं पित्ताक्षिरोग कृत् ।।*

*🔸'मस्तक पर उष्णीष (पगड़ी, साफा, टोपी आदि) धारण करना कांति की वृद्धि करने वाला,केश के लिए हितकारी,धूलि को दूर करनेवाला अर्थात धूलि से बालों को बचानेवाला और वात तथा कफ का नाशक होता है । परंतु ये सब उत्तम लाभ तभी होते हैं जब वह हलका हो । यदि उष्णीष बहुत भारी हो तो पित्त की वृद्धि और नेत्र संबंधी रोग को उत्पन्न करने वाला होता है ।*


*(भावप्रकाश पु.लं., दिनचर्या दी प्रकरण ५.२३७)*

*👉 सूर्य से निकलने वाली अल्ट्रावायलेट किरणें त्वचा एवं होंठों के कैंसर का महत्वपूर्ण कारण मानी जाती हैं । ये किरणें काँचबिंदु जैसी आँखों की विकृतियों को भी जन्म देती है ।*

*👉 वैज्ञानिकों के अनुसार ऐसी टोपियाँ जिनमें किनारों पर कम-से-कम ३ इंच की पट्टी चारों तरफ लगी है,सिर,चेहरा,कानों तथा गले को सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाती हैं, जिससे स्किन कैंसर से बचाव हो जाता है । घुमावदार टोपियाँ अधिक उपयुक्त होती हैं ।*

*👉चुनाव-प्रचार में बाँटने वाली सिंथेटिक टोपियां लाभकारी नहीं होतीं टोपियाँ मोटे कपड़े की होनी चाहिए ।*

*📖 ऋषि प्रसाद / मई २००९*
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2024/04/25 22:26:51
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